19 घंटे से बंद पड़ा है बदरीनाथ हाईवे, यात्री और स्थानीय लोग कर रहे मार्ग खुलने का इंतजार 

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देहरादून। पीपलकोटी के भनेरपाणी में मलबा आने से मंगलवार दोपहर तीन बजे अवरुद्ध हुआ बदरीनाथ हाईवे बुधवार की सुबह तक नहीं खुल पाया। बदरीनाथ हाईवे करीब 19 घंटे से बंद पड़ा है। नेशनल हाईवे की जेसीबी मशीन मार्ग खोलने में लगी है। 

कल से मार्ग बंद होने के कारण यात्री परेशान हैं। उनका यात्रा शेड्यूल बिगड़ गया है। यात्री और स्थानीय लोग मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने से हाईवे खोलने में आ रही परेशानी

पीपलकोटी के पास मलबा आने से मंगलवार दोपहर बाद करीब तीन बजे बदरीनाथ हाईवे बंद हो गया था। एनएच की तीन जेसीबी मलबा हटाने में लगी हैं, लेकिन पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने की वजह से हाईवे खोलने में परेशानी आ रही है।

दो दिनों से जिले में बारिश न होने की वजह से हाईवे पर यातायात में किसी तरह की बाधा नहीं थी, लेकिन मंगलवार को चटख धूप होने के बावजूद पीपलकोटी से आगे बदरीनाथ की तरफ चाड़ातोक में भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर सड़क पर आ गिरे। दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई है।

बदरीनाथ व गौरीकुंड हाईवे से लिंक होगा कलक्ट्रेट, विकास भवन
सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दो वर्षों में कलक्ट्रेट व विकास भवन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड और ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे से जुड़ जाएंगे। इसके लिए छह किमी लंबे बाईपास का निर्माण किया जाएगा, जिसकी कवायद राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड, लोनिवि ने शुरू कर दी है। 

ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत प्रस्तावित बाईपास का निर्माण गौरीकुंड हाईवे पर तहसील कार्यालय के समीप से किया जाना है। सांदर गांव होते हुए यह बाईपास कलक्ट्रेट और विकास भवन के समीप से गुजरेगा। इसे बदरीनाथ हाईवे से लिंक करने के लिए अलकनंदा नदी पर मोटर पुल का निर्माण किया जाना है।

अधिकारियों की मानें तो बाईपास के लिए प्रस्तावित जगह के भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए भू-वैज्ञानिकों की टीम रुद्रप्रयाग पहुंचेगी। ये वैज्ञानिक बाईपास की फिजिबिलिटी के साथ ही भूमि की संरचना व मजबूती का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देंगे।

एनएच द्वारा वन विभाग के साथ संयुक्त निरीक्षण कर डीपीआर तैयार की जाएगी। औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद ऑल वेदर रोड परियोजना के मानकानुसार बाईपास का निर्माण 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा एनएच द्वारा केदारघाटी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली 67 मीटर लंबी सुरंग का सुधारीकरण भी किया जाएगा। 

छह किमी लंबे बाईपास का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। अब, भू-वैज्ञानिकों के सर्वे के बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर अगले वर्ष मार्च तक बाईपास का निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
– जितेंद्र कुमार त्रिपाठी, ईई एनएच रुद्रप्रयाग 

दस किमी के फेर से मिलेगी ग्रामीणों को निजात

बदरीनाथ हाईवे से लगे तल्लानागपुर के सुमेरपुर, तिलणी समेत आसपास के गांवों की कलक्ट्रेट व विकास भवन से दूरी दो से तीन किमी में रह जाएगी। जबकि अभी तक इन लोगों को डीएम कार्यालय पहुंचने के लिए रुद्रप्रयाग-बेलणी के रास्ते लगभग दस किमी का सफर करते हुए कलक्ट्रेट पहुंचना होता है।

वहीं केदारघाटी व गौरीकुंड हाईवे से लगे गांवों के लोगों को कलेक्ट्रेट पहुंचने के लिए बाईपास बनने के बाद छह किमी दूरी कम तय करनी पड़ेगी। क्योंकि तहसील-सांदर से बाईपास बनने पर ये लोग 11 किमी के सफर के बजाय पांच किमी में ही कलक्ट्रेट पहुंच जाएंगे।

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