19 साल पूरे कर चुका उत्तराखण्ड, 56 हजार करोड़ का कर्जदार है

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देहरादून। संवाददाता। आज से ठीक चार दिन बाद उत्तराखंड के गठन को 19 साल पूरे हो जाएंगे और राज्य अपने 20वें वर्ष में प्रवेश करेगा। 9 नवंबर वर्ष 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना पहाड़ी प्रदेश वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रहे है। प्रदेश पर 56 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। जानकार कहते हैं कि उत्तराखंड को समय रहते नए संसाधनों की खोज करनी चाहिए, ताकि उत्तराखंड अपने पैरों पर खड़ा हो सके।

उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है

9 नवंबर 2000 को बने उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो हर 100 रुपए जो किसी स्कीम के अंतर्गत राज्य को मिलता है। उस पर उत्तराखंड को सिर्फ 10 से 20 रुपए ही वापस करना होता है। बावजूद इसके उत्तराखंड में पैसों का टोटा बना हुआ है। राज्य करीब 39 हजार की कमाई करता है जबकि खर्चा 48 हजार से ज्यादा का है। लिहाजा, आय अठन्नी और खर्चा रुपया है। कमी पूर्ती करने के लिए राज्य को बाजार से कर्ज उठाना पड़ता है, जो 56 हजार करोड़ पार कर चुका है. मामले की जानकारी उत्तराखंड वित्त सचिव अमित नेगी के अनुसार यह जानकारी पुष्टी हो सकी है।
फॉरेस्ट, बागवानी, पर्यटन आदि से बढ़ेगी आमदनी

जाहिर है इन हालातों में उत्तराखंड पर अपने आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने का दबाव भी बढ़ गया है, इसलिए उत्तराखंड के पूर्व फाइनेंस कंट्रोलर कैप्टन एमएस बिष्ट ने कहा कि प्रदेश तभी आमदनी बढ़ा सकता है, जब फॉरेस्ट, बागवानी, पर्यटन और पावर प्रमुख सेक्टर पर काम करेगा। इसके साथ ही कैप्टन बिष्ट ये मानते हैं कि कर्जा उन्हीं परियोजनाओं के लिए लेना चाहिए जिनसे कर्जा उतरा जा सके।

उत्तराखंड में बजट का करीब 35 फीसदी हिस्सा तनख्वाह और पेंशन बांटने में चला जाता हैं। 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा कर्ज पर ब्याज चुकाने में चला जाता है। ऐसे में सरकारी खर्चों में कटौती करने की भी जरूरत है।

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