देहरादून में आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विशाल चौधरी और उमा सिसोदिया ने एक प्रेस वार्ता के दौरान,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को परिसंपत्तियों के मामले में जनता को गुमराह ना कर सार्वजनिक तौर पर प्रेस के माध्यम से जानकारी देने के लिए कहा। आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने कहा,परिसंपत्तियों के मामले में दोनों मुख्यमंत्रियों को साझा प्रेस वार्ता कर ,कितने मामलों का निस्तारण हो चुका और कितने मामले अभी बाकी है उन पर सही जानकारी देने की मांग की है ।आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने कहा,सूबे को बने 20 साल से ज्यादा हो गए हैं और इन 20 सालों में राज्य तमाम तरह की दिक्कतों से लड़कर,संभलकर चलता आया है । लेकिन राज गठन के समय से लेकर अब तक परिसंपत्तियों का मुद्दा दोनों पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक निराशाजनक कार्यकाल रहा जहां दोनों ही सरकारें 10 साल राज करने के बाद भी अपने उत्तराखंड के हक को नहीं दिला पाए ,अलबत्ता कई मामले कोर्ट के जरिए विचाराधीन और उम्मीद की किरण दिखाते जरूर है। ये दोनों ही पार्टियां कभी भी परिसंपत्तियों को लेकर इतना संजीदा नहीं दिखाई दी, 2017 में बीजेपी को उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत देने के बाद ,यूपी और केंद्र में बीजेपी सरकार के बाद जनता को जरूर ट्रिपल इंजन से उम्मीद बनी लेकिन चार साल का कार्यकाल बीत गया और केवल निराशा हाथ लगी।आप प्रवक्ता विशाल चौधरी ने कहा,आज भी करोड़ों रुपए की देनदारी उत्तर प्रदेश के, उत्तराखंड पर है कई जमीने, कई विभाग और कई मामले का, अधिकार आज भी उत्तराखंड में होते हुए, उत्तर प्रदेश के पास है । उत्तराखंड मूल के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के आने के बाद उत्तराखंड में भी बीजेपी सरकार होने के बाद, और केंद्र में भी भाजपा की सरकार के बावजूद, ट्रिपल इंजन को लेकर जो उम्मीद प्रदेश वासी के दिलों में जगी थी कि इस बार परिसंपत्तियों को लेकर विवाद जरूर खत्म हो जाएगा, लेकिन अपने दो दिवसीय दौरे पर आए योगी के इस बयान ने उन तमाम उम्मीदों को एक बार फिर से तोड़ दिया है जिसे लेकर उत्तराखंड वासियों को ट्रिपल इंजन से उम्मीद थी। मुख्यमंत्री योगी ने कहा परिसंपत्तियों को लेकर अभी कोई विवाद नहीं है और अधिकांश मामले सुलझा दिए गए हैं ।उमा सिसोदिया ने कहा,अगर योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि अधिकांश मामले सुलझा लिए गए तो, आम आदमी पार्टी दोनों मुख्यमंत्री से सवाल पूछती ,आप परिसंपत्तियों के जिन अधिकांश मामलों को सुलझाने की बात कर रहे उनको आप दोनों प्रेस के माध्यम से सार्वजनिक करें,सहमति बनने और उसका निवारण होने में बहुत फर्क है ।आम आदमी पार्टी का साफ कहना है ये सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि आज भी सैकड़ों ऐसे मामले हैं परिसंपत्तियों को लेकर जिनका हल होना बाकी है ।
आम आदमी पार्टी बीजेपी के ट्रिपल इंजन से, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से, प्रधानमंत्री मोदी से और सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से सवाल पूछती है ट्रिपल इंजन आपके पास है, इतना बहुमत आपको जनता ने दिया,फिर भी आप जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं। जिन संपत्तियों पर उत्तराखंड का हक होना था वह आज भी यूपी के हक में क्यों हैं। क्योंकि यहां से मिलने वाले राजस्व का कुछ हिस्सा आज भी उत्तर प्रदेश के पास जाता है। अगर 20 सालों में भाजपा कांग्रेस इन परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं कर पाई इससे बड़ी शर्म की बात उत्तराखंड के लिए और इन पार्टियों के लिए कुछ नहीं हो सकती है ।
विशाल चौधरी ने कहा,परिसंपत्तियों से जुड़े मामले को सार्वजनिक करना चाहिए और बताना चाहिए कितना मामला सुलझ गया और कितना कब तक सुलझेगा । जबकि आम आदमी पार्टी तमाम उन मामलों को बता रही है जिनका आज भी निस्तारण होने के लिए उत्तराखंड की जनता सिर्फ पिछले 20 सालों से इंतजार कर रही है।
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजनाओं के अंतर्गत ऋण समाधान व ऋण देनदारी का मसला।
-यूपी रिवॉल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज पर अभी तक सहमति नहीं बनी।
-उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग को अनुबंध के अनुसार बकाया ब्याज के 15 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि पर अभी कोई निर्णय नहीं।
-तराई बीज एवं तराई विकास परिषद को उत्तर प्रदेश से 8.80 करोड़ रुपये की धनराशि पर सहमति नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास विकास निगम और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा वर्ष 2000 की बैलेंस शीट के आधार पर होना है*
लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि ग्रह की परिसंपत्तियों का बंटवारा भी अभी तक लंबित है
सिंचाई विभाग की विभिन्न परिसंपत्तियों के प्रकरण अभी भी बाकी है
उत्तराखंड सरकार रोडवेज की परिसंपत्तियों के बंटवारे का हल भी चाहती हैं जिसमें कानपुर स्थित परिवहन निगम की कार्यशाला और एलेन फॉरेस्ट कार्यशाला लखनऊ, टिहरी कोठी, परिवहन निगम मुख्यालय के साथ, अजमेरी गेट नई दिल्ली स्थित परिसंपत्तियों है
आज भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में परिवहन, सिंचाई, आवास, वन निगम, उर्जा विभाग समेत कई ऐसी संपत्तियां हैं जिनका आज तक हस्तांतरण उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को नहीं हो पाया है और इनसे मिलने वाला सारा राजस्व उत्तर प्रदेश की सरकारी खजाने में जा रहा है। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ था और तब से लेकर आज तक प्रदेश को बने हुए पूरे 20 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन ऐसी कोई भी सरकार इस प्रदेश में नहीं आई जिसने इस बंटवारे को गंभीरता से लिया हो।आप पार्टी ट्रिपल इंजन से मांग करती है की परिसंपत्ति मामले में गंभीर कदम उठाए जाएं ताकि उत्तराखंड को उसकी संपत्तियों के साथ-साथ राजस्व भी प्राप्त हो सके और अगर इसके बाद भी सरकार संजीदा नहीं हुई तो आम आदमी पार्टी एक और बड़ा जनांदोलन परिसंपत्तियों को लेकर करेगी जिसकी गूंज ,देहरादून,दिल्ली और लखनऊ को तब तक एहसास दिलाती रहेगी जब तक परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं होता और उत्तराखंड की जनता को उसका हक़ नहीं मिलता ।