देहरादून। संवाददाता। मौसम परिवर्तन के चलते डेंगू का डंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिससें डेंगू व वायरल के मरीज बढ़ने का असर अस्पतालों पर भी दिख रहा है। वायरल बुखार व डेंगू के लक्षण एक समान होने के कारण लोगों के दिलों से डेंगू की दहशत नहीं निकल रही। खासकर अस्पतालों के फिजिशियन पर अत्यधिक दबाव है। उस पर पैथोलॉजी में भी मरीजों की जबरदस्त भीड़ है।
अमूमन डेंगू का असर मानसून खत्म होते-होते दिखता है। मगर इस बार एडीज मच्छर ने अभी से अपना आतंक दिखाना शुरू कर दिया है। जनपद देहरादून में ही अब तक 45 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। जिनमें 13 दून के हैं, जबकि 25 मरीज हरिद्वार से यहां इलाज के लिए पहुंचे।
इसके अलावा टिहरी व चमोली के एक-एक और उत्तर प्रदेश के पांच मरीजों ने दून में इलाज कराया। सितंबर शुरू होने का साथ ही मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। उसपर वायरल का भी प्रकोप बढ़ रहा है।
दून अस्पताल के सभी फिजिशियन हर दिन सौ से डेढ़ सौ मरीज देख रहे हैं। जिसमें अधिकांश को डेंगू के लक्षण दिखने पर पैथोलॉजी जांच के लिए भेजा जा रहा है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से मरीजों का अत्यधिक दबाव है। डेंगू में जिस मरीज की हालत ज्यादा खराब रहती है, उसी को भर्ती किया जाता है। काफी मरीज दवा से ही ठीक हो जाते हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. रामेश्वर पांडे का कहना है कि हर बुखार को डेंगू नहीं मानना चाहिए और बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न खाएं। बहुत तेज बुखार होने की स्थिति में पैरासीटामाल की एक गोली मरीज को दे सकते हैं। नेमोस्लाइड, इब्यूप्रोफेन आदि दर्द निवारक मरीज को कतई न दें। डेंगू होने पर मरीज में इससे ब्लीडिंग का चांस बढ़ जाएगा।