देहरादून। देहरादून। सूबें के शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था का अंदजा इस बात से ही लगाया जा सकता है, कि शिक्षकों ने मनचाही तैनाती के लिए फर्जी प्रमाण पत्र तक बना डाले हैं। ऐसे में किस तरह शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकेगा, कहना मुश्किल है। शिक्षा विभाग में कथित फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों की पोल खुलने लगी है। एसआइटी की जांच में सामने आया कि शिक्षा विशारद से बीएड नहीं बल्कि हाई स्कूल और बीए की डिग्री हासिल करने वाले भी कई लोग शिक्षक बन गए। जबकि राज्य में यह डिग्री मान्य ही नहीं है। इतना होना पर भी शिक्षा विभाग मौन की स्थिति में नजर आ रहा हैं।
सरकार वर्ष 2014 से 2016 तक भर्ती हुए शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच एसआइटी से करा रही है। एसआइटी ने अभी तक मिले करीब दो हजार प्रमाण पत्रों के सत्यापित दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिससे एसआइटी भी हैरान है। एसआइटी प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक विजिलेंस श्वेता चैबे का कहना है कि राज्य में शिक्षा विशारद की डिग्री मान्य नहीं है। बावजूद शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले शिक्षकों ने शिक्षा विशारद की बीएड के अलावा हाईस्कूल, इंटर, बीए और एमए तक की डिग्री लगा रखी है। इसके अलावा कानपुर, मेरठ, मध्यप्रदेश के कई ऐसे संस्थानों से भी डिग्री प्राप्त कर रखी हैं, जो वहां विवादित और ब्लैक लिस्टेड हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में विवि से मिलने वाले जवाब के बाद बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
शिक्षकों के सत्यापित प्रमाणपत्र देने में हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर शिक्षा विभाग गंभीर नहीं हैं। शिक्षा निदेशक ने आठ सितंबर को इस मामले में संबंधित जिलों के सीईओ को पत्र लिख जांच में सहयोग देने को कहा। मगर अभी तक इन जिलों से शिक्षकों के दस्तावेज एसआइटी को नहीं मिले हैं। सोमवार तक प्रमाणपत्र न मिलने पर एसआइटी ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर शासन को पत्र भेज दिया है।