उपचार के लिए हिमाचल का रूख करने को मजबूर उत्तराखण्ड का ये गांव

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देहरादून। संवाददाता। जिला उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक अंतर्गत न्याय पंचायत आराकोट के 15 गांव हैं। इनकी आबादी करीब 7 हजार के करीब है। इन गांवों का प्रमुख कस्बा आराकोट है। आराकोट पहुंचने के लिए उत्तरकाशी से पहले मोरी और फिर देहरादून जनपद के त्यूनी होते हुए हिमाचल प्रदेश के पंद्राणू होते हुए आराकोट पहुंचा जाता है। इस सुदूरवर्ती क्षेत्र में सबसे बड़ी परेशानी स्वास्थ्य सेवाओं की है। 15 गांवों के लिए आराकोट अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिछले पांच वर्षों से एक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है। ऐसा नहीं है कि इस चिकित्सालय में चिकित्सक की नियुक्ति नहीं है। लेकिन यहां तैनात किए गए चिकित्सक को सीएचसी नौगांव में अटैच किया गया है।

 

आराकोट स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक न होने से यहां के लोग हिमाचल प्रदेश जाने को मजबूर हैं। लेकिन प्रदेश सरकार सूदूरवर्ती क्षेत्र आराकोट की सुध लेने को तैयार नहीं। ग्राम पंचायत आराकोट निवासी पल्लवी कुड़ियाल और सरोजनी कुड़ियाल ने बताया कि जून 2017 में प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.धन सिंह रावत आराकोट में आए थे।

 

इस दौरान उन्हें ग्रामीणों ने आराकोट की समस्या के बारे में जानकारी दी थी। मंत्री ने उनकी समस्या सुनी और तत्काल स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की नियुक्ति का आश्वासन दिया था। तीन महीने बीत चुके हैं। अभी तक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक को नहीं भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार का कोई भी नुमांइदा यहां की समस्या सुनने को तैयार नहीं है।

 

आराकोट के प्रधान जगदीश राणा कहते हैं कि यह यहां के वाशिंदों का दुर्भाग्य है कि वह उत्तराखंड राजधानी से 250 किमी दूर और जिला उत्तरकाशी से 230 किमी दूर निवास करने के बावजूद भी हिमाचल प्रदेश की परिवहन, स्वास्थ्य, व्यापार, संचार सुविधाओं में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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