श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ दूसरे दिन भी हड़ताल

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देहरादून। केन्द्र सरकार की जन व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ बुलाये गये दो दिवसीय बंद के दूसरे दिन भी हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। राज्य में बैंक, बीमा और परिवहन से लेकर डाक विभाग तक अनेक क्षेत्रों में काम काज ठप रहने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हड़ताल के कारण सूबे में आर्थिक गतिविधिया प्रभावित रही जिससे दो दिनों में एक हजार से अधिक का व्यवसायिक नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के कारण आज राजधानी सहित सूबे के 12 सौ बैंक शाखाओं में काम काज नहीं हुआ। बैंक कर्मियों द्वारा इस अवसर पर द्वार सभाओं का आयोजन कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया गया। अधिकांश एटीएम में कल ही कैश खत्म हो चुका।

जिसके कारण आम लोग आज पैसे निकालने के लिए इधर उधर दौड़ते भागते रहे। वहीं डाक सेवा पर इस हड़ताल का असर देखने को मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में डाक वितरण का काम आज भी ठप रहा। वहीं मुख्य डाकघर पर डाक कर्मियों ने गेट सभा का आयोजन कर केन्द्र सरकार को श्रमिक विरोधी नीतियों को जम कर कोसा।

ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल का असर ऊर्जा और परिवहन पर भी पड़ा है। हड़ताल कर्मियों का कहना है कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के चलते बीते साल एक करोड़ युवाओं को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। सरकार निजीकरण को बढ़ावा देकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, बैकों का विलय किया जा रहा है। हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि श्रमिकों को न्यूनतम वेतन 18 हजार और न्यूनतम पेंशन तीन हजार की जाये। सामान कार्य के लिए सामान वेतन दिया जाये तथा 2004 में बंद की गयी पेशंन व्यवस्था को बहाल किया जाये।

हड़ताल के दूसरे दिन राजधानी में बैंकों की अधिकांश शाखाओं में काम काज ठप रहने के साथ ही उर्जा विभाग के दोनों निगमों में भी कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार जारी रहा। इन कर्मचारियों द्वारा विघुत संशोधित बिल 2018 का विरोध करते हुए इसे उपभोक्ता व कर्मचारियों के हितों पर कुठारघात बताया जा रहा है। उधर परिवहन निगम कर्मियों ने आज दूसरे दिन भी कार्यशाला गेट पर धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया। इन कर्मचारियों द्वारा न्यूनतम वेतन निर्धारण से लेकर निगमों के विलय का विरोध किया गया।

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