देशभर की महिला साहित्यकारों को उत्तराखण्ड में दिया जायेगा मंच – प्रकाश पंत

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड हिंदी अकादमी और उत्तराखंड भाषा एवं साहित्य सम्मेलन समिति के तत्वावधान में आयोजित शोध पाठ्यक्रम के उद्घाटन समारोह में भाषा मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि प्रदेश में हिंदी व भाषाओं के जरिये शोधकार्य को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने मार्च में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा देश भर की महिला साहित्यकारों का सम्मेलन आयोजित किए जाने की घोषणा की। इसके अलावा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर महिला कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

हिंदी अकादमी सभागार में एक सप्ताह चलने वाले शोध प्रविधि पाठ्यक्रम का उद्घाटन भाषा मंत्री प्रकाश पंत ने किया। इस पाठ्यक्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर और पीएचडी शोधार्थी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भाषा मंत्री ने कहा कि शोध कार्य में गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान और अन्य अकादमियां हिंदी तथा दूसरी भारतीय भाषाओं के माध्यम से शोधकार्य को बढ़ावा देंगी। भाषा मंत्री ने उत्तराखंड के अनेक विद्वानों, प्रोफेसरों और साहित्यकारों का उदाहरण देते हुए कहा कि न केवल हिंदी वरन अन्य विषयों के शोध कार्यों में भी प्रदेश का बड़ा योगदान है।

मंत्री पंत ने कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुधा पांडेय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करते हुए आगामी मार्च माह में राष्ट्रीय स्तर का महिला साहित्यकार सम्मेलन आयोजित किए जाने की घोषणा की। इसके संयोजन का दायित्व प्रोफसर सुधा पांडेय संभालेंगी। इससे पूर्व 25 जनवरी को उत्तराखंड की कवयित्रियों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसका संयोजन भाषा संस्थान की पूर्व निदेशक प्रोफेसर सविता मोहन करेंगी। इस अवसर पर प्रोफेसर सुधा पांडेय ने शोध के विविध आयामों पर विस्तार से शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। प्रोफेसर सविता मोहन ने शोध कार्य को तपस्या बताया।

उन्होंने शोधार्थियों से अपेक्षा की कि वे शोध कार्य से संबंधित आधुनिक पद्धतियों के संपर्क में रहें। कार्यक्रम का संचालन कर रहे चमन लाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने शोधार्थियों से अपनी शैक्षिक योग्यता बढ़ाने के लिए स्वयम, मूक्स, नेपटेल और मूडल्स जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने यूजीसी तथा अन्य फंडिंग एजेंसियों की योजनाओं के बारे में भी बताया। डीएवी कॉलज के डॉ. राजेश पाल ने अंतरर्विषयी शोधकार्यों को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।

उत्तराखंड भाषा संस्थान के निदेशक बी.आर. टम्टा ने कहा कि संस्थान द्वारा जल्द ही वार्षिक गतिविधियों का कैलेंडर तैयार किया जाएगा। पहले दिन के सत्रों के समापन से पूर्व हरिद्वार से आई कवयित्री डॉ. मेनका त्रिपाठी ने काव्यपाठ किया। इस मौके पर अकादमी के वित्ताधिकारी भास्करानंद सेमवाल, डॉ. निशा वालिया, डॉ. सविता भट्ट, डॉ. रंजना रावत, डॉ. सविता राजपूत, डॉ. उर्मिला रावत, डॉ. रूपाली बहल, डॉ. नैना श्रीवास्तव, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. हिमानी, डॉ. अर्चना सिंह, डॉ. रीतू डंगवाल, डॉ. कविता राठौर, नितिन कश्यप, अंकुर बिजल्वाण, कैलाश आर्य आदि समेत अनेक शिक्षक एवं शोधार्थी मौजूद थे।

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