देहरादून। आवास भत्ते में मामूली बढ़ोत्तरी से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा ने सरकार को भत्ता लौटाने का निर्णय लिया है। मोर्चा ने आवास भत्ते में मामूली वृद्धि कर परिवार कल्याण जैसे भत्ते बंद करने को कर्मचारियों के साथ बड़ा मजाक बताया। इस फैसले से विभिन्न श्रेणियों के कुल दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों के प्रभावित होने का अनुमान है। मोर्चा ने एलान किया कि वित्तीय स्थिति अच्छी न होने का रोना रोने वाली प्रदेश सरकार पर वे बोझ नहीं बनना चाहते। जब सरकार की स्थिति बेहतर होगी तो वे अपना हक मांगेंगे।
शुक्रवार को विकास भवन में आयोजित बैठक में संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने प्रदेश सरकार द्वारा आवास भत्ते के निर्णय पर गहरा रोष व्यक्त किया। मोर्चा के मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि मोर्चा द्वारा सरकार से तीन श्रेणियों में 10, 12, 16 फीसद भत्ता वृद्धि की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने 5, 7, 9 को ही स्वीकृति दी। उन्होंने सरकार द्वारा परिवार कल्याण व आइपीओ भत्ता बंद करने के निर्णय पर भी आक्रोश जाहिर किया। कहा कि एक तरफ सरकार आवास भत्ते में कटौती कर रही है, वहीं दूसरी ओर अन्य भत्तों को भी समाप्त किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों को पिछले भत्तों की तुलना में कोई लाभ नहीं मिल रहा है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार हर समय वित्तीय स्थिति खराब होने का हवाला देती है, इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि वह यह भत्ता भी नहीं लेंगे। इससे उनकी ओर से भी सरकार को सहयोग करने का मौका मिलेगा। लेकिन, यह भी साफ कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार की वित्तीय स्थिति जल्द अच्छी हो, ताकि वो अपना हक मांग सकें।
डेढ़ लाख कर्मचारी ज्यादा प्रभावित
मोर्चा ने बताया कि 4200 ग्रेड-पे वाले करीब डेढ़ लाख कर्मचारी अधिक प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि पहले कर्मचारियों के परिवार कल्याण (नियोजन) भत्ता मिलाकर कुल 3150 रुपये भत्ता मिलता था, लेकिन अब परिवार कल्याण भत्ता बंद होने व आवास भत्ते में मामूली वृद्धि होने पर कुल 3186 रुपये मिलेंगे। जिससे कर्मियों को महज 36 रुपये अधिक मिलेंगे। इन कर्मियों में कर्मचारी, फील्ड कर्मचारी, वरिष्ठ लिपिक समेत कई अन्य श्रेणियां आती हैं।
क्या है परिवार कल्याण भत्ता
सरकार की ओर से परिवार नियोजन (जनसंख्या नियंत्रण) के लिए कर्मचारियों को यह भत्ता दिया जाता है। भत्ता उन कर्मचारियों को मिलता है जिनके अधिकतम दो बच्चे हैं। यह ग्रेड-पे का दस फीसद मिलता था। लेकिन, अब सरकार ने यह भत्ता बंद करने का निर्णय लिया है।
ट्रेजरी के हजारों कर्मियों पर भी मार
कोषागार कर्मियों को मिलने वाले आइपीओ भत्ता भी बंद कर दिया गया है। इससे हजारों की संख्या में कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं।
28 को आंदोलन की रणनीति होगी तय
मोर्चा की ओर से 28 जनवरी को महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। इसमें मोर्चा से जुड़े विभिन्न संगठन एक मंच पर आकर आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे। इसी दिन रणनीति तय हो जाएगी।
कर्मचारियों को हर बार होती है निराशा
-ठाकुर प्रहलाद सिंह (मुख्य संयोजक, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा) का कहना है कि सरकार का यह फैसला निराशाजनक है। सरकार हर बार वित्तीय स्थिति अच्छी न होने के कारण कर्मचारियों को हर बार निराश कर देती है। इसीलिए उन्होंने भत्ता वापस करने को फैसला लिया।
-नंद किशोर त्रिपाठी (प्रांतीय अध्यक्ष, उत्तराखंड कर्मचारी संयुक्त परिषद) का कहना है कि सरकार का फैसला कर्मचारियों के हित में नहीं है। परिवार कल्याण भत्ता व आइओपी भत्ता बंद करना कर्मचारियों के साथ मजाक है।
-दीपक बेनीवाल (कार्यवाह अध्यक्ष, उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन) का कहना है कि सरकार का यह फैसला हिटलरशाही जैसा है। अच्छा होता कि सरकार कर्मचारियों को पुराने भत्ते व नए भत्ता चुनने का विकल्प देती। इससे कर्मचारियों को विकल्प मिलता और ऐसी स्थिति से बचा जा सकता था।
-सारूल हक (संयोजक, उत्तराखंड ऊर्जा अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा) का कहना है कि सरकार के फैसले से कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। सरकार ने पक्ष में कम, विरोध में ज्यादा निर्णय लिया है।