देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड पुलिस महकमा भले ही अपने आप को हाईटेक टैक्नोलाजी से लैस होने के लाख दावे करता हो लेकिन थाने और चौकियों में बैठे पुलिस कर्मियों को सत्यापन के लिए बनाये गये इस पुलिस मोबाइल एप को चलाने के बारे में कोई जानकारी तक नहीं है।
पुलिस महकमें द्वारा अब तक बाहरी लोगों व किरायेदारों के सत्यापन के लिए डोर टू डोर जाना पड़ता था तथा सत्यापन न कराने वालों के खिलाफ चालानी कार्यवाही करनी पड़ती थी। इसके बावजूद हजारों की तादात में लोग सत्यापन से छूट जाते थे। इस समस्या के समाधान व इसके सरलीकरण हेतू विभाग द्वारा एक एप तैयार कराया गया ताकि लोग घर बैठे ही सत्यापन करवा सके। आश्चर्यजनक बात यह है कि पुलिस महकमें द्वारा सत्यापन के लिए मोबाइल एप तो तैयार कर लिया गया और लोगों को सलाह दी गयी कि वह अब आनलाइन ही सत्यापन करवाये।
लेकिन आम जन को इस मोबाइल एप को कैसे चलाना है इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी। मामले की पड़ताल जब सांध्य दैनिक ट्टदून वैली मेल’ के संवाददाता द्वारा की गयी तो लोगों ने बताया कि उन्हे सत्यापन के लिए बनाये गये इस मोबाइल एप को कैसे चलाना है जानकारी ही नहीं है। इस पर राजधानी दून के कई थाने व चौकियों में जाकर इस एप को चलाने के बारे में पूछा गया तो थाने में तैनात पुलिस कर्मियों ेको भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी तथा उनमें से कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा सलाह दी गयी कि इस बारे में साइबर कैफे वाले अच्छी तरह से जानते है वहीं इस एप को चलाने के बारे में जानकारी मिल सकती है।
सोचनीय सवाल यह है कि जब खुद पुलिस महकमें के कर्मचारियों को ही सत्यापन के लिए बनाये गये इस एप को चलाने की जानकारी नहीं है तो फिर पुलिस महकमा जनता से यह उम्मीद कैसे रख सकता है कि वह सत्यापन के लिए बनाये गये इस एप का इस्तेमाल कर सकेंगे सवाल गम्भीर है?