लाखों कर्मचारियों का मांगों को लेकर अवकाश पर जाने का फैसला

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देहरादून। संवाददाता। राज्य के ढाई लाख कर्मचारी अपना आवासीय भत्ता बढ़ाये जाने सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर परसों 31 जनवरी कोक सामूहिक अवकाश पर जाने के अपने फैसले पर अडिग है। वहीं सरकार द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि 31 जनवरी को किसी भी कर्मचारी को छट्टी न दी जाये और अवकाश नियमावलि का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। कर्मचारी जो सत्ता पक्ष से 31 जनवरी से पूर्व समझौता वार्ता के लिए बुलाये जाने की उम्मीद लगाये बैठे थे सरकार के फैसले को दमनात्मक कार्यवाही के रूप में देख रहे है और उन्होने इस बात का एलान कर दिया है कि इस बार कर्मचारी पीछे हटने वाले नहीं है और वह आरकृपार की लड़ाई लड़ेगें।

कर्मचारी आंदोलन का नेतृत्व कर रही उत्तराखण्ड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समिति ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने और कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। समिति के संयोजक मंडल में शामिल सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि एक तरफ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कर्मचारियों को कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखने की बात करते है तथा अधिकारियों व कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए बैठक बुलाते है वहीं दूसरी तरफ वह किसी तरह का आंदोलन न करें इसके लिए उन्हे डराया धमकाया जाता है।

उन्होने कहा कि कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि सरकार कैबिनेट की बैठक में कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाकर कोई समाधान निकालेंगे तथा कैबिनेट की बैठक में उनकी मांगों के संबध में कोई ठोस निर्णय निकाला जा सकेगा। लेकिन सरकार के रूख से अब ऐसा लगता है कि सरकार कर्मचारियों के दमनात्मक नीति पर ही कायम है।

कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो 31 जनवरी को कर्मचारी सामुहिक अवकाश पर रहेंगे। अगर सरकार इसके बाद भी नहीं जागेगी तो चार फरवरी को कर्मचारी तय कार्यक्रम के अनुरूप सड़कों पर उतरेंगे और प्रदेश भर के कर्मचारी महारैली के जरिए अपनी ताकत दिखायेंगे। उधर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि हड़ताल किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।

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