देहरादून। संवाददाता। राजधानी देहरादून में फर्जी गाड़ी बेचने वालों का एक गिरोह पुलिस के कब्जे में आया तो उनसे पूछताछ के दौरान एक चौकाने वाली खबर सामने आयी, आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने पुलिस को बताया कि वे मेरठ और यूपी से गाड़िया चुरा कर यहां पर उनके पार्ट्स बदल कर यहाँ बेचते हैं और आरटीओ आफिस से अपनी जान पहचान से गाड़ी के नकली कागज तैयार करवाते हैं। आरटीओ की इस बड़ी धांधली का सामने आना एक चौकाने वाली बात है कि किस प्रकार चोरी की गई गाड़ियों का उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन हो रहा है।
एक ओर पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है दअरसल पुलिस ने गाड़ियों के फर्जी कागजात तैयार कर गाड़ियों को बेचने वाले तीन ठगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से पांच गाड़ियां भी बरामद की है। एसपी सिटी श्वेता चौबे ने प्रेसवार्ता में बताया कि 25 जनवरी को सहस्त्रधारा निवासी राजपुर थाने में तहरीर दी गई थी। जिसमें उन्होने बताया कि कुठालगेट पर वर्कशॉप चला रहा नसीम अख्तर से उनकी मुलाकात हुई जिससे उन्होने एक लाख रुपए में आल्टो कार खरीदी। गाड़ी की सफाई करने के दौरान उन्हें पता चला की गाड़ी का इंजन नंबर और आरसी में दर्ज नंबर दोनों भिन्न थे। जिसके बाद उन्होने थाने में तहरीर दी इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की तब इस मामले का खुलासा हुआ फिलहाल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है
वही जब देहरादून आरटीओ ऑफिस से इस बात पर पूछा गया तो पहले तो उन्होंने इस बात पर कुछ भी बताने से मना कर दिया पर बड़ी मुश्किल से उन्होंने इस फर्जीवाड़े पर कहा कि अगर इस आफिस का कोई भी कर्मचारी इस मे संलिप्त है तो उसकी जांच होगी और उस पर कार्यवाही की जाएगी। फर्जी दस्तावेज बनाने पर उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेज बनाना तो बनाने वाला ही बताएगा कि किस तरह बनता है ।
आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि बिना मिलीभगत के चोरी की गाडियों के फर्जी दस्तावेज आरटीओ आफिस से बन कर लोगो तक पहुँच जा रहे हैं और आरटीओ दफ्तर में किसी अधिकारी को ये भनक भी न लग पा रही है। ये आरटीओ प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है, साथ ही लोगो को भी वाहन खरीदने से पहले सभी जानकारियां पूर्ण कर लेनी चाहिए।