देहरादून। संस्कृत विद्यालयों में वर्षों से अस्थायी रूप से पढ़ा रहे शिक्षकों ने संस्कृत शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करते हुए बेमियादी धरना शुरू कर दिया। शिक्षक नियमितीकरण और नियमितीकरण होने तक न्यूतनत 15 हजार रुपये मासिक मानदेय की माग कर रहे हैं। उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक सोमवार सुबह ही बद्रीपुर स्थित निदेशालय पहुंच गए। यहां उन्होंने सरकार और शिक्षा विभाग पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। संघ के अध्यक्ष डॉ. जनार्द्धन कैरवान ने कहा कि जब तक सरकार मांगों पर कार्यवाही नहीं करेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
जरूरत पड़ने पर संस्कृत शिक्षक विधानसभ सत्र के दौरान विधानसभा का घिराव भी करेंगे। मालूम हो कि राज्य के करीब 98 संस्कृत विद्यालयों में 219 शिक्षक प्रबंधकीय व्यवस्था के तहत वर्ष 1998 से पढ़ाई करा रहे हैं। करीब करीब सभी विद्यालय इन्हीं शिक्षकों पर निर्भर है। इन्हें वर्तमान में केवल चार हजार रुपये मासिक मानदेय मिलता है। शिक्षकों को डर इस बात का है कि सरकार संस्कृत शिक्षा के लिए नए विनियम बना रही है। इन विनियम में नई भर्ती की बात की जा रही है। ऐसे में 15 से 20 साल से सेवाएं दे रहे प्रबंधकीय शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक जाएगी। संघ के प्रवक्ता मनेाज शर्मा ने कहा कि संस्क़ृत शिक्षक कई बार अपनी मांगों को विभिन्न मंचों के जरिए सरकार तक पहुंचा चुके हैं। पर, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब संस्कृत आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बनाकर आए हैँ। प्रदर्शन करने वालों में सुभाष डोभाल, जीतेंद्र भट्, शांतिप्रसाद मैठानी, विनायक भट्ट, आरती रतूड़ी, श्रद्धाजंलि, मीना राजपूत आदि शामिल रहे।