देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड राज्य को वन प्रदेश घोषित किये जाने और राज्य के लोगों को वनवासी का दर्जा दिये जाने की अपनी मांग को लेकर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज यंहा आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि उनके यह प्रयास तब तक जारी रहेगे। जब तक केन्द्र सरकार उनकी मांग को नहीं मान लेती है।
इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि अभी संसद सत्र के दौरान उन्होने राज्य के तमाम सांसदों और लोकसभा अध्यक्ष को भी एक ज्ञापन देकर कहा कि वह उनकी जायज मांगों को संसद में रखे। उन्होने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। राज्य का 70 फीसदी भूभाग जब वन क्षेत्र है तो इस क्षेत्र के रहने वालों को वनवासी का दर्जा देने या इस राज्य को वन प्रदेश घोषित करने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी इसका समर्थन करते हुए केन्द्रीय वन एंव प्रयावरण मंत्रालय को पत्र भेजा है।
उन्होने कहा कि राज्य के लोगों को वह सब अधिकार मिलने ही चाहिए जो एक वन प्रदेश के लोगों को मिलते है। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में वन अधिकार अधिनियम 2006 को यथाशीघ्र लागू करते हुए राज्य को वन प्रदेश घोषित करने के साथ साथ राज्य के नागरिकों को वनवासी का दर्जा दिया जाये। यहां के निवासियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी से पर्यावरण की रक्षा की है जिसके एवज में प्रति परिवार को प्रतिमाह एक गैस सिलेन्डर तथा 100 युनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध करायी जानी चाहिए।