राज्य ने केंद्र से लगाई प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों के वापसी की मांग

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देहरादून। संवाददाता। राज्य सरकार में तैनात सचिव इन दिनों अधिकारियों की कमी से जूंझ रहे है। जिससें सरकार के सामने भी दिक्कत आ रही है। विकास योजनओं से जु़ड़ी फाईलों को कछुआं चाल से आगे बढ़ाने को प्रसासन भी मजबूर दिख रहा है। वहीं सरकार की  6 महीने की रिपोर्ट भी कुछ धीमी बया हो रही है।

 प्रदेश सरकार इन दिनों अधिकारियों की कमी से जूझ रही है। आलम यह है कि सचिव स्तर से प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए नियत 25 अधिकारियों के सापेक्ष केवल छह ही अधिकारी तैनात है। अधिकारियों की इस कमी को पूरा करने के लिए फिलहाल अपर सचिवों को प्रभारी सचिव का दायित्व देकर काम चलाया जा रहा है। इस कड़ी में शासन की ओर से केंद्र को पत्र लिखकर प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस करने की गुहार लगाई गई है।

 

प्रदेश में भाजपा सरकार के सामने प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की चुनौती है। इसके साथ ही सरकार को केंद्र की योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों की सेवाएं नहीं मिल पा रही है।

प्रदेश के आइएएस अधिकारियों के ढांचे पर नजर डालें तो यहां आइएएस स्तर के अधिकारियों के लिए 120 पद स्वीकृत हैं। इसमें मुख्य सचिव से लेकर अन्य राज्यों से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के पद शामिल हैं। इन स्वीकृत पदों के सापेक्ष प्रदेश में अभी तकरीबन 80 आइएएस ही तैनात हैं। इनमें भी सचिव व उनसे उच्च स्तर के अधिकारियों की संख्या केवल छह है।

 

हाल ही में प्रमुख सचिव के पद पर तैनात डॉ. उमाकांत पंवार भी स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं। इसके चलते सरकार को कई अपर सचिव स्तर के अधिकारियों को प्रभारी सचिव का दायित्व देते हुए विभाग सौंपे गए हैं। एक आइएएस अधिकारी  औसतन आठ से लेकर 15 विभाग तक देख रहे हैं। इससे सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है।

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