सूचना के जरिये मांग लिया दो महीने का वेतन

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देहरादून। संवाददाता। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत एक चैकाने वाला मामला सामने आया है। सूचना देने से बचने के लिए आजमाया गया यह तरीका संभवतरू पहला होगा। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी देने के बजाय आवेदक से अपने दो कार्मिकों का दो दिन का वेतन मांग लिया।

वेतन मांगने संबंधी पत्र में न तो यह बताया गया कि सूचना कितने पृष्ठों में निहित है और न ही यह बताया गया कि जवाब से असंतुष्ट होने पर आवेदक को कहां अपील करनी है।

आरटीआइ कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के राजपुर रोड स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से मुख्य रूप से लंबे समय से बीमार चल रहे सर्वेक्षक अतुल सिंघल के बारे में जानकारी मांगी थी। क्योंकि, ऐसी जानकारी मिल रही थी कि अस्वस्थ होने के बाद भी वह दुर्घटनाग्रस्त वाहनों का सर्वेक्षण कार्य कर रहे हैं।

सूचना के आवेदन पत्र में महज चार बिंदुओं का उल्लेख किया गया। इसके बाद भी 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध तो नहीं कराई गई, मगर केंद्रीय लोक सूचना अधिकारीध्उप प्रबंधक स्तर से 30 दिन की अवधि के बाद भूपेंद्र कुमार को कार्मिकों का दो दिन का वेतन मांगे जाने का पत्र जरूर प्राप्त होता है।

इस पत्र में लिखा गया है कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं, उनके संकलन के लिए एक अधिकारी व एक सहायक की नियुक्ति की जानी है। लिहाजा दो कार्मिकों का दो दिन का वेतन उपलब्ध कराकर संबंधित सूचनाएं दी जा सकती हैं। जबकि आरटीआइ एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और सूचना देने के लिए प्रति पृष्ठ दो रुपये की राशि पहले ही नियत की गई है। इंश्योरेंस कंपनी के ऐसे अटपटे जवाब से खिन्न होकर भूपेंद्र कुमार ने केंद्रीय सूचना आयोग को लिखित में शिकायत भेज दी है।

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