देहरादून। संवाददाता। मुख्यमंत्री ने 13वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुभारम्भ किया। जिससें भविष्य में होने वाली पानी की कमी की समस्या के समाधान के लिये वैज्ञानिकों को भी चिंतन करना हेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया तथा विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले वैज्ञानिक डॉ.दिलीप कुमार उप्रेती, वैज्ञानिक प्रो. प्रीति गंगोला जोशी के साथ ही डॉ.ममता सिंह को बेस्ट सांइस टीचर का एवार्ड प्रदान किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वैज्ञानिकों से भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल संवर्द्धन के प्रति विशेष ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि वर्षा जल हमारी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में कैसे मददगार हो इस पर भी वैज्ञानिकों को चिन्तन करना होगा। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में वाटर कॉरपस बनाये जाने की भी बात कही।
मंगलवार को विज्ञान धाम झाझरा में तीन दिवसीय 13वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने विज्ञान कांग्रेस में आये वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों से देश व प्रदेश हित में जैव विविधता के व्यापक सदुपयोग में भी सहयोगी बनने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी वैज्ञानिक एकत्र होते हैं उसका लाभ अवश्य मिलता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन का भी राज्य को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में हमारे सामने पर्यावरण एवं जैव विविधता को बचाये रखने की चुनौती है। इस विज्ञान कांग्रेस में आये वैज्ञानिक इस चुनौती का सामना करने को भी मददगार बनें। उन्होंने कहा कि हमारे सामने भविष्य में पानी की जरूरतों को पूरा करने की भी चुनौती है। इसके लिये वर्षा जल संग्रहण की दिशा में हमें सोचना होगा। प्रदेश में पिथौरागढ़, पौड़ी के साथ ही देहरादून में जलाशय बनाये जा रहे है। उन्होंने कहा कि नदियों के प्रवाह को बनाये रखना भी हमारे लिये चुनौती है। इस चुनौती का सामना हम वर्षा जल संग्रहण के साथ ही व्यापक स्तर पर जलाशयों के निर्माण से कर सकते हैं।