कांग्रेस का घोषणा पत्र : चुनावी मैदान में कहीं सेल्फ गोल तो नहीं होगा?- रवि नेगी

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कांग्रेस को अपने घोषणा पत्र में ऐसे मुद्दे शामिल करने की सलाह किसने दी। जिससे पुलवामा हमले के बाद गुस्से से भरी जनता में एकबार फिर उबाल आने का खतरा हो। ऊपर से कश्मीर में गठबंधन ऐसी नेशनल कांफ्रेंस से कर लिया, जो कह रही है कि अब कश्मीर को भी अपना पीएम और राष्ट्रपति चाहिए। क्या जरूरी था इन्हें घोषणा पत्र का हिस्सा बनाना।

देहरादून : लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होने में अब एक सप्ताह का समय शेष है। दोनों ओर से सेनाएं रणभूमि के लिए सज चुकी हैं। युद्ध का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस ने 72 हज़ार सालाना की घोषणा कर तुरुप का इक्का भी चल दिया। 24 लाख सरकारी पदों पर भर्ती के वादे से माहौल बनाने का काम भी किया। ऐसे में कांग्रेस को अपने घोषणा पत्र में ऐसे मुद्दे शामिल करने की सलाह किसने दी। जिससे पुलवामा हमले के बाद गुस्से से भरी जनता में एकबार फिर उबाल आने का खतरा हो। ऊपर से कश्मीर में गठबंधन ऐसी नेशनल कांफ्रेंस से कर लिया, जो कह रही है कि अब कश्मीर को भी अपना पीएम और राष्ट्रपति चाहिए।

कांग्रेस का घोषणा पत्र सेना को कमजोर करने वाला. अफस्मा हटा तो आतंकियों के खिलाफ कश्मीर घाटी में सेना कार्यवाही नहीं कर पायेगी. सेना के जवान आसान तारगेट हो जायेंगे. आतंकी हमारे जवानों को उनके कैम्पों में घुस कर मारेंगे. सावधान! कांग्रेस जवानों को खतरनाक परिस्थियों में धकेलने के लिए तैयार है. इसे सबक मिलना चाहिए.

क्या जरूरी था इन्हें घोषणा पत्र का हिस्सा बनाना।

  • देशद्रोह कानून खत्म होगा ?
  • सेनाओं को मिले हुए विशेषाधिकार? AFSPA कानून की समीक्षा होगी ?
  • कश्मीर में सेना व पैरा मिलिट्री की संख्या में कमी ?
  • सहयोगी दल NC ने तो कह ही दिया है J&K का प्रधानमंत्री ही अलग होगा ? 

इन मुद्दों को उस दौर में शामिल किया गया है, जब सामने वाले ने पूरे चुनाव को ही राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसे देख कर तो लग रहा है, जैसे राहुल गांधी की टीम में कोई भाजपाई पहुंच गया है। या किसी जले भुने कांग्रेसी ने ही सुपारी ले रखी है। कुछ लोग कह रहे हैं कि समीक्षा में कुछ गलत नहीं है। चलो ये भी मान लें कि कुछ गलत नहीं है, लेकिन इसकी ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि इनके बिना घोषणा पत्र ही अधूरा था।

इन मुद्दों से कुछ मिले या न मिले, लेकिन 72 हज़ार की हवा जरूर निकाल दी। हालांकि आज रवीश कुमार ने जरूर कांग्रेस की इस चूक की भरपाई को लेकर अपनी पूरी जी जान लगा दी। रविश ये भी कहते दिखे की किसी की मानहानि होने पर जुर्माना सिर्फ सवा रुपए से ज्यादा न हो। ऐसे तो किसी के भी खिलाफ कुछ भी बकवास कर लो और दे दो सवा रुपया। लगता है पगलाए गए हैं भैय्या जी शायद

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