कब बाहर निकलेगा पुलिस के काले कारनामे का सच

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देहरादून। संवाददाता। चार अपै्रल को राजपुर रोड पर तथाकथित सर्विलांस पुलिस टीम द्वारा लूटा गया बैग, जिसे लेकर खाकी की किरकिरी हो रही और सीएम के भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति मखौल बन रही है आखिर उस काले बैग का सफेद सच कब सामने आ सकेगा? या सच सामने आयेगा भी या नहीं? यह सवाल हर आम आदमी के मन को मथ रहा है।

खास बात यह है कि इस लूट में आईजी रैंक के अधिकारी की सरकारी गाड़ी का प्रयोग हुआ। गाड़ी को लूट के लिए प्रयोग करने वाले पुलिस कर्मी ही थे। पीड़ित अनुरोध पंवार रिपोर्ट पर हुई कार्यवाही के बाद इन आरोपितों को जेल भी भेज दिया गया है। लेकिन जिस काले बैग को लूटा गया उसमें कितनी रकम थी? तथा यह लूटा गया बैग गया कहंा? क्या इस बैग में रखी रकम वास्तव में किसी नेता की थी जिसे चुनाव में इस्तेमाल किया जाना था? आदि आदि अनेक सवाल ऐसे है जिनका कोई जवाब किसी पुलिस अधिकारी या पीड़ित व आरोपियों के पास नहीं है।

जो व्यक्ति इस बैग को अपनी गाड़ी से लेकर जा रहा था उसे भी नहीं पता कि काले बैग में क्या था जिसने दिया वह भी यह बताने को तैयार नहीं है कि रकम कितनी थी। जिन्होने लूटा वह भी उस बैग में रकम होने से ही इन्कार कर रहे है। सभी की जुबान पर यह बात है कि बैग में कपड़े और कागजात थे। अगर बैग में रकम नहीं थी तो लूटने की क्या जरूरत थी? इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि यह रकम किसी नेता की थी। देरदार और लेनदार भले ही कांग्रेसी हो लेकिन अब उसके कारोबारी रिश्तों की बात भी कही जा रही है। इस काले बैग की गुत्थी इतनी उलझी हुई है या फिर पुलिस ने और इस मामले में शामिल अन्य लोगों ने इसे इतना उलझा दिया है कि इसे सुलझाया ही न जा सके, समझ से परे है। घटना चुनाव प्रचार की अवधि में हुई। इसलिए इसे आसानी से चुनाव में इस्तेमाल होने वाले काले धन से जोड़ दिया गया।
इस पूरे प्रकरण में खाकी की इतनी किरकिरी हो चुकी है कि उससे बचने के प्रयास में जुटी खाकी जितनीकृकृ उतनी अधिक किरकिरी कराने की स्थिति में जा पहुंची है। मगर उस काले बैग का रहस्य एक अनबूझ पहेली ही बना हुआ है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जो अपनी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति का प्रचार करते नहीं थकते, एक शब्द भी बोलने को तैयार नहंी है। पूरी कहानी इस काले बैग के इर्द गिर्द ही घूम रही है जब तक इस काले बैग का सच सामने नहीं आयेगा तब तक यह मामला निपटने वाला नहीं है अब सच को छिपाने में जुटे लोग भी इतना तो समझ ही चुके होंगे। लेकिन सच सामने कब आयेगा यह सबसे अहम सवाल है?

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