देहरादून। संवाददाता। राजधानी दून में चुनाव आचार संहिता के दौरान प्रकाश में आये पुलिस लूट कांड की जांच में भले ही एसटीएफ द्वारा की जा रही हो लेकिन यह लूट एक अनबूझ पहेली बन चुकी है। जिसके रहस्य से पर्दा उठ पाना असंभव ही लग रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक(आईजी) की गाड़ी से चार अपै्रल की रात जिन तीन पुलिस कर्मियों द्वारा नोटों से भरा बैग प्रापर्टी डीलर से चुनाव आचार संहिता जांच की आड़ में लूटा गया। उस बैग में कितनी रकम थी उसका पता एसटीएफ भी आरोपियों को रिमांड में लेने के बाद भी नहीं लगा सकी है। इस बैग का भी अभी तक पता नहीं चल सका है कि उसे जमीन खा गयी या आसमान। जिस प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार से बैग लूटा गया न तो उसे यह पता है कि बैग में कितनी रकम थी और न जिस कांग्रेसी नेता अनुपम शर्मा ने बैग दिया था उसे पता है कि बैग में कितनी रकम थी?
तीन पुलिस कर्मी जिन्हे निलम्बित किया गया और कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा जिसे इस लूट कांड का मुख्य साजिश कर्ता बता कर पुलिस ने जेल तो भेज दिया किन्तु वह इस लूटे गये लापता बैग और उसमें रखी रकम की मिस्ट्री को सुलझाने में असफल रही है जिसका फायदा अब मामले के आरोपियों को मिल रहा है। अनुपम शर्मा जो जमानत पर बाहर आ चुके है से अब आयकर के अधिकारी अब पूछताछ करेंगे?
सवाल यह है कि जब बैग बरामद नहीं हुआ और उसमें रखी रकम की कोई जानकारी लेने व देने वालों द्वारा नहीं की जा सकी है तो इस पूछताछ का क्या आधार होगा, यह बात समझ से परे है।
आयकर अधिकारी चाहे अनुपम शर्मा से पूछताछ करें या अनुरोध पंवार से ऐसी स्थिति में उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा। जब एसटीएफ इस राज से पर्दा नहीं उठा सकी तो अब इस रहस्य से पर्दा उठना नामुमकिन ही लग रहा है। दरअसल यह मामला हाईप्रोफाइल है और नेताओं और पुलिस से सीधा जुड़ा हुआ है अगर किसी बदमाश ने यह लूट की होती और उसके खिलाफ इतने सारे साक्ष्य मिले होते तो वह काला बैग और उसमें रखी रकम सब कुछ पहले ही बरामद हो चुकी होती।