देहरादून। संवाददाता। सरकारी और निजी स्कूलों में विशेष शिक्षक न होने से दिव्यांग बच्चे लगातार पलायन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आ रही है। पिछले नौ साल में करीब 72 फीसद बच्चे शिक्षा छोड़ चुके हैं। इन बच्चों की संख्या साढ़े 16 हजार से अधिक है। बाल आयोग की सुनवाई में यह जानकारी सामने आई है।
बाल आयोग की सुनवाई में शिक्षा विभाग की ओर से उप निदेशक हेमलता भट्ट ने स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बताया कि वर्ष 2009-10 में स्कूलों में 22930 दिव्यांग बच्चे पंजीकृत थे। जबकि, इसके दो-तीन वर्ष बाद यह संख्या 13662 हो गई और अब यह संख्या 6391 तक पहुंच गई है।
रिपोर्ट में भी स्वीकार किया है कि यह कमी विशेष शिक्षकों के न होने के कारण आ रही है। क्योंकि सामान्य शिक्षक दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहीं होते। इस पर आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने हैरानी जताई। उन्होंने सरकारी और सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में शीघ्र विशेष शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने समाज कल्याण विभाग की ओर से दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि भी बढ़ाने की जरूरत बताई।
चिकित्सकों का टोटा, अटकी योजना
स्वास्थ्य महानिदेशालय का पक्ष रखने पहुंची डॉ. सीमा आर्य ने बताया कि प्रदेशभर में 6552 दिव्यांग बच्चों को दिव्यांग प्रमाण-पत्र जारी किए जा चुके हैं। यूडीआइडी (यूनिक डिसएबिलिटी आइडी) बनाने में विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे कार्यक्रम लगातार प्रभावित हो रहा है।
परिवहन में बढ़ेगा दिव्यांग कोटा
उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग ने जानकारी दी कि निगम की बसों में दिव्यांग सीट का कोटा बढ़ाया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस दिशा में गंभीरता से कार्य किए जाएंगे।