अपराधियों की जमानत से एसटीएफ की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

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देहरादून। संवाददाता। हाईप्रोफाइल पुलिस लूटकांड में मात्र सवा माह के दौरान ही तीन आरोपियों का जमानत पर बाहर होना एसटीएफ की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। लूट कांड का प्रमुख आरोपी दारोगा दिनेश शर्मा को आज जमानत मिल गयी है जबकि अनुपम शर्मा व सिपाही मनोज अधिकारी पहले ही जमानत पर बाहर है।

विदित हो कि राज्य में लोकसभा चुनाव से पूर्व चार अपै्रल को प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार से डालनवाला क्षेत्र में सरकारी वाहन से आये तीन पुलिस कर्मियों द्वारा चुनाव चैकिंग के नाम पर बैग लूट की वारदात को अंजाम दिया गया था। शुरूआत से ही बैग में करोड़ों की नगदी होने की बात कही रही थी। मामला खुला तो मुख्य साजिशकर्ता कांग्रेसी नेता अनुपम शर्मा व तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच एसटीएफ को सौंपी गयी।

एसटीएम ने मामले में कार्यवाही करते हुए 16 अपै्रल को अनुपम शर्मा सहित तीनों पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में 20 अपै्रल को आईजी कार्यालय की वह सरकारी गाड़ी भी सीज की गयी जिससे इस लूट का अंजाम दिया गया था। इतना सब कुछ हो जाने व आरोपियों को रिमांड पर लेने के बावजूद भी एसटीएफ आरोपियों से बैग व उसमें रखी करोड़ों की नगदी बरामद करने में असफल रही। जिसका फायदा आरोपियों को मिला और वह एक एक कर जमानत पर बाहर होते चले गये ओैर आज लूटकांड के तीसरे आरोपी दिनेश नेगी को भी जमानत मिल गयी। सोचनीय सवाल यह है कि क्या इस हाईप्रोफाइल लूट को आम बदमाशों ने अंजाम दिया होता तो एसटीएफ लूटी गयी नगदी बरामद नहीं कर पाती और लूटकांड के तीन आरोपियों को सवा माह के दौरान ही जमानत मिलना सभंव था? एसटीएफ की कार्यशैली पर सवाल पैदा करने के लिए काफी है।

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