देहरादून। भारत सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कमान संभालने वाले डा. रमेश पोखरियाल निशंक के कंधों पर उत्तराखंड की उम्मीदों का भार भी रहेगा। प्रदेश के कई मामले ऐसे हैं, जो मंत्रालय में फंसे हुए हैं। राज्य सरकार इन मामलों में कई बार पत्राचार कर चुकी है लेकिन ज्यादातर का समाधान नहीं निकल पाया है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके डा. निशंक की ताजपोशी के बाद इन मामलों के समाधान की उम्मीद जगी है।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों का मामला
देशभर के विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को राहत देते हुए पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बिल पास हुआ। इसमें प्रदेश के 16608 विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को भी राहत मिलनी थी। हालांकि कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण एनसीटीई से उत्तराखंड के संदर्भ में आदेश जारी नहीं हो पाया। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों से राज्य के शिक्षकों को राहत तो मिली लेकिन आदेश जारी न होने के कारण उनमें असमंजस बना हुआ है। इसके अलावा अप्रशिक्षित शिक्षा मित्रों के मामले में भी कुछ फैसला होने के आसार हैैं।
समग्र शिक्षा में मिला आधा बजट
राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की बेहतरी के लिए भी डा. निशंक से खासी उम्मीदें हैं। सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के एकीकरण के बाद बने समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार ने 1700 करोड़ रुपये के प्रस्ताव दिए थे। हालांकि प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड ने केवल 800 करोड़ को मंजूरी दी। बजट का सही समय पर सदुपयोग करने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय इसे बीच में बढ़ा सकता है।
योजनाओं में मिलेगा महत्व
डा. निशंक के एमएचआरडी संभालने से प्रदेश में शिक्षा से जुड़ी केंद्र पोषित योजनाओं को महत्व मिलने और उनके काम में तेजी आने की उम्मीद है। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर समग्र शिक्षा अभियान, उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा), एनसीईआरटी की राज्य शाखा एसीईआरटी को भी मदद मिलने की उम्मीद है।
आरटीई के तहत मदद मिलने की आस
केंद्रांश से चलने वाली शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) को भी डा. निशंक की ताजपोशी से मदद मिलने की उम्मीद है। पिछले चार वर्षों के दौरान योजना के तहत राज्य को बहुत कम धनराशि मिली है। योजना के तहत स्कूलों को प्रतिपूर्ति समेत अन्य खर्च का भुगतान केंद्र सरकार करती है लेकिन केंद्र की ओर से यह भुगतान नहीं किया गया। इसके चलते राज्य सरकार पर करीब 237 करोड़ रुपये का बकाया है।
पहाड़ पर सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था
डा. निशंक राज्य में मुख्यमंत्री के अलावा कई मंत्रालयों का काम देख चुके हैं। ऐसे में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था उनसे छुपी नहीं है। उनके महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने से राज्य की शिक्षा व्यवस्था बेहतर होने की उम्मीद है। जर्जर और खस्ताहाल हो चुके विद्यालय भवनों की मरम्मत के लिए कई बार प्रस्ताव भेजने के बावजूद केंद्र सरकार से मदद नहीं मिली। अब इसकी उम्मीद बंधी है।
महाविद्यालयों में सुधरेंगे हालात
राज्य के महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में प्राचार्य और शिक्षकों के पद खाली हैं। कई जगह महाविद्यालय खुले या उच्चीकृत हुए लेकिन वहां पद सृजित नहीं हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय भी अस्थाई कर्मियों के भरोसे चल रहे हैं। उनके मामले में भी सुधार की गुंजाइश है।
एनआईटी का मामला भी सुलझेगा
डा. निशंक के गृहजनपद पौड़ी के श्रीनगर में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का मामला पिछले लंबे समय से सुर्खियों में हैै। संस्थान के लिए जमीन न मिल पाने के कारण स्थाई कैंपस नहीं बन पाया है। अस्थाई और वैकल्पिक कैंपस की व्यवस्था छात्रों को रास नहीं आ रही है, जिसके चलते इसके शिफ्ट होने की बात भी हुई है। निशंक इस क्षेत्र और वहां की समस्याओं को बेहतर ढंग से जानते हैं, इसलिए उनसे इस मामले में भी समाधान की उम्मीद है।
डा. निशंक अनुभवी और जनता के बीच के नेता हैं। उनके मानव संसाधन विकास मंत्री बनने से उत्तराखंड को लाभ मिलेगा। राज्य की शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए उनके जैसे व्यक्ति की केंद्र में आवश्यकता थी।
– दिग्विजय सिंह चैहान, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
उत्तराखंड का मुख्यमंत्री और विभिन्न विभागों का मंत्री रहने के दौरान डा. निशंक ने अपने कार्यों और कार्यप्रणाली से अलग उदाहरण प्रस्तुत किया है। एमएचआरडी में वह राज्य की बेहतरी के निर्णय लेंगे, इसकी उम्मीद है।
– डा. सोहन सिंह माझिला, महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ