देहरादून। संवाददाता। परिवहन निगम अब प्रदेश में नियमित रूप से इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की तैयारी कर रहा है। देहरादून-मसूरी और हल्द्वानी-नैनीताल में तीन माह के ट्रायल रन में मिली सफलता को देखते हुए अब इन मार्गों पर नियमित बसों को चलाने की तैयारी है। इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। इसके अलावा केंद्र से हर प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना का लाभ लेने के लिए भी प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
राज्य बनने के 18 साल बाद भी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है। शहरों में बेलगाम सिटी बसें, विक्रम और ऑटो व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं। इन वाहनों का न गति पर नियंत्रण है न नियमों की परवाह। देहरादून, हरिद्वार व नैनीताल में सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 2008 में जेएनएनयूआरएम योजना के तहत बसें दी गई थीं। इसका मकसद यात्रियों को आरामदायक और सुविधाजनक सफर मुहैया कराना था। देहरादून और हरिद्वार को 75-75 और नैनीताल को 45 बसें मिलीं, लेकिन इनके संचालन के लिए जिम्मेदार स्थानीय निकायों ने हाथ खड़े कर दिए।
बसें पहले डेढ़ साल खड़ी रहीं, बाद में इन्हें रोडवेज के सुपुर्द कर दिया गया। अब ये बसें एक शहर से दूसरे शहर में दौड़ने लगी और जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने यहां इको फ्रेंडली इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का निर्णय लिया। इनका तीन माह तक ट्रायल हुआ। ट्रायल की सफलता के बाद कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए गए लेकिन एक ही कंपनी ने इसमें रुचि दिखाई।
इसलिए अब दोबारा टेंडर आमंत्रित किए जा रहे हैं। हाल में केंद्र सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण और ईधन की खपत बचाने को इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर जोर दिया और बसों के संचालन में राज्यों के सहायता करने की बात कही है। इसी कड़ी में उत्तराखंड भी इन बसों के संचालन को केंद्र से सहयोग लेने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत पीपीपी मोड में इन बसों का संचालन किया जाएगा और केंद्र इसमें राज्यों को आर्थिक सहायता देगा।
इसे देखते हुए परिवहन निगम इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों की सफलता को देखते हुए इन्हें देहरादून और हल्द्वानी के अलावा अन्य शहरों में भी सड़कों पर उतारा जाएगा। इसके लिए टेंडर किए जा रहे हैं और केंद्र को भी इस संबंध में प्रस्ताव भेजने की तैयारी है।