देहरादून। संवाददाता। लोकसभा चुनावी जंग में हार के बावजूद कांग्रेस निकाय और विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी में है। प्रमुख विपक्षी पार्टी श्रीनगर नगरपालिका और बाजपुर नगरपालिका के चुनाव के साथ ही पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल की काट के लिए अपनी रणनीति को धार देगी।
यही वजह है कि 18 जून को प्रस्तावित प्रदेश कांग्रेस कमेटी की विस्तारित बैठक के एजेंडे में निकाय और विधानसभा उपचुनाव के मुद्दों को भी शामिल किया गया है। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में उत्तराखंड में कांग्रेस की भले ही बुरी गत हो गई, लेकिन राज्य में होने वाले अन्य चुनावों में पार्टी अपना मनोबल ढीला पड़ने देने के मूड में नहीं है।
लोकसभा चुनाव से पहले हुए राज्य में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा था। पार्टी दो नगर निगमों के साथ ही जिला मुख्यालयों के नगर निकायों में अपना वर्चस्व कायम करने में कामयाब रही थी। अब दो नगर निकायों के लिए उपचुनाव होना है।
इनमें एक निकाय पर्वतीय क्षेत्र श्रीनगर में है तो दूसरा निकाय मैदानी जिले ऊधमसिंहनगर जिले के बाजपुर में है। निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की पार्टी की चाहत का ही नतीजा है कि दोनों निकायों के लिए पर्यवेक्षक नामित कर दिए गए हैं। पर्यवेक्षकों को निकायवार पार्टी के मजबूत जनाधार वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं से संपर्क साधकर जमीनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपनी है।
इस रिपोर्ट के आधार पर संभावित प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। साथ ही कमजोरी और ताकत को आंकते हुए बूथवार कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में विशेष जोर देगी। इसीतरह निकट भविष्य में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है। यह सीट काबीना मंत्री प्रकाश पंत के निधन से रिक्त हुई है। इस सीट पर छह माह के भीतर उपचुनाव होना है।