देहरादून। संवाददाता। वन अधिकार व अपने हक हकूक के मागों को लेकर वन अधिकार आंदोलनकारियों ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि उत्तराखण्ड राज्य की जनता ने लम्बी लडाई व आंदोलन के बाद उत्तराखण्ड राज्य हासिल किया। राज्य की मां बहनों ने इसके लिए कड़ा संघर्ष किया। राज्य उत्तराखण्ड वासियों के हक हकूक सुरक्षित करने के लिए मांगा गया था। हमारा राज्य वनों और नदियों का प्रदेश है लेकिन आज दोनों पर हमारा अधिकार नहीं है। राज्य बने 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य के आंदोलनकारियों की मूल भावनाओं के अनुरूप राज्य को नहीं बना पाये है।
कहा है कि राज्य के जल जंगल और जमीन पर हर उत्तराखण्डी का हक है। उन्होने मांग की है कि उत्तराखण्ड को वनवासी प्रदेश घोषित किया जाये व केन्द्र सरकार की नौकरियों में उत्तराखण्ड वासियों को आरक्षण दिया जाये। दिल्ली सरकार के भांति उत्तराखण्ड को भी राज्यवासियों को प्रफी पानी देना चाहिए। गैस सिलेण्डर प्रफी मिलना चाहिए। सहित कई और मांगे भी रखी गयी। इस अवसर पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, जोत सिंह बिष्ट, अमरजीत सिंह, संजय भट्ट, मथुरा दत्त जोशी सहित कई लोग मौजूद रहे।