देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून जिसे अपनी शांत व सुरम्य वादियों के लिए जाना जाता था। आज वही दून अपराधियों के लिए सुरक्षित गढ़ बनता जा रहा है। हांलाकि पुलिस का समय समय पर सत्यापन अभियान चलाये जाने का दावा जरूर रहता है लेकिन यह अभियान कितना सही चल रहा है इसका पता दून के कई क्षेत्रों से बाहरी प्रदेशों के बदमाशों के पकड़े जाने के बाद ही चलता है।
बता दें कि राज्य की राजधानी देहरादून में जब अपराध बढ़ने लगे तो पुलिस महकमें की ओर से सत्यापन अभियान चलाये जाने के आदेश जारी हुए। शुरू में यह अभियान कठोरता से चलाया गया और जिसके चलते दून से कई अपराधी भी भाग खड़े हुए। लेकिन समय के साथ ही इस अभियान की कमान भी ढीली पडती चली गयी और अपराधियों ने इस बात का फायदा उठाते हुए दून को एक बार फिर अपनी शरण स्थली बना लिया। जिसकी पुष्टि शहर में कई स्थानों पर शातिरों के पकड़े जाने से ही हुई है।
अभी बीते दिनों प्रेमनगर क्षेत्र में हुई लाखों की लूट के खुलासे के बाद सामने आया कि बदमाश प्रेमनगर के ही एक स्थान पर फ्लैट लेकर रह रहे थे। रूड़की के कचहरी परिसर में हुए गैंगवार के आरोपियों ने भी दून की पुलिस लाइन के समीप ही अपना डेरा एक फ्लैट में डाल रखा था। कुछ वर्ष पूर्व रायपुर थाना क्षेत्र के नालापानी इलाके में एक व्यक्ति की गोलियो से भून कर हत्या कर दी गयी थी जिसके बाद खुलासे में पता चला कि मृतक पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक शातिर था जो पैरोल पर छूटने के बाद फरार होकर दून को अपना ठिकाना बनाये हुए था।
कुछ माह पूर्व थाना नेहरूकालोनी क्षेत्र से एसटीएफ ने यूपी के एक ऐसे ईनामी को पिस्टल सहित दबोचा जो रायवाला को अपना ठिकाना बनाये हुए था और जिसकी तलाश में यूपी पुलिस खाक छान रही थी। पंजाब की एक जेल ब्रेक के तार भी दून के रायपुर इलाके से ही जुड़े मिले। इस जेल ब्रेक के आरोपियों ने भी सहस्त्रधारा क्षेत्र में अपना डेरा डाल रखा था और यहीं पर जेल में हमला कर आंतकियों को छुड़ाये जाने की कहानी बनायी गयी। ऐसे कई मामले है जिनसे पुलिस के सत्यापन अभियान की पोल खुलती है। देखना होगा कि महकमें के आलाधिकारी इन मामलों को कितनी संजीदगी से लेते है या फिर पुलिस का सत्यापन इसी तरह कागजो पर चलता रहेगा और बदमाश दून को अपनी शरणस्थली बनाते रहेगें।