सजा और इंसानियत के बीच झूलता रहा संदीप थापा

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हादसे में मौत- खुद की गाड़ी से टक्कर लगने के बाद पहुंचाया अस्पताल, दिया इंसानियत का परिचय
देहरादून। संवाददाता। अक्सर सड़क हादसें में ये बात सामने आती है कि दुर्घटना को अंजाम देने वाला मौके से फरार हो जाता है। मगर कुछ लोगों में इंसानियत का जज्बा इस कदर है कि वो खुद को सलाखों के पीछे झोकने से भी नहीं डरते हैं। नियति भी कुछ ऐसा ही कहती है, कर भला तो हो भला।

दून के नेहरू कलोनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत सजा और इंसानियत के बीच खुद को फंसाने वाला दृश्य सामने आया। जारा सोचिये आपकी कार से किसी बाईक सवार की टक्कर हो जाए और उसके देखकर लगे की इसका बचना बहुत ही मुश्किल हैं, तो ऐसे में आपके दिल की धड़कन बढ़ जाएगी, आपकों फौरन वहां से भाग जाने का उपाय सूझने लेगेगा।

 

दूधली निवासी संदीप कुमार थापा ने इंसानियत की ऐसी मिशाल पेश की है। जिसे सुनकर समाज में इंसानियत का अंकुर फूट पड़े और न जाने कितने ही लोगों को जान गवाने से बचाया जा सकें।  मंगलवार की रात करीब साढ़े नौ बजे दुधली निवासी देवेंद्र जोशी पुत्र मोहन जोशी बाईक पर सवार होकर निकाली ही था, जैसे ही

 

दुधली मुख्य मार्ग पर पहुंचा उसकी बाईक संदीप कुमार थापा की कार से जा टकराई, देवेंद्र सड़क पर लहू लुहान हालत में पड़ा था,  संदीप ने तुरंत उसे अपनी कार में डाला और दून अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया, संदीप चाहता तो फरार भी हो सकता था,  मगर उसने ऐसा नहीं किया। उपचार के दौरान घायल की मौत हो

 

गई, जिससें संदीप को गहरा झटका लगा,  वहीं मृतक के परिजनों ने संदीप के खिलाफ अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया है। मृतक नजीमाबाद में प्राईवेट नौकरी करता था और मूल रूप से पिथौरागढ़ का रहने वाला था। वहीं संदीप थापा सेना का रिटायर्ड जवान बताया जा रहा है,  जिसने खुद को मुशिबत में डालकर इंसानियत को जिंदा रखा।

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