अब डॉगी भी होने लगे हार्ट और डॅायबिटीज के रोग ग्रसित

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देहरादून। संवाददाता। शहरी क्षेत्र में कुत्ता पालना सिर्फ स्टेटस सिंबल ही नहीं, बल्कि यह जानवरों के प्रति आपके प्रेम को भी दर्शाता है। सुरक्षा के लिहाज से घरों में पाले जाने वाले जानवरों में कुत्ता सबसे पहले नंबर पर आता है। इसके अलावा बिल्ली भी पालतू की श्रेणी में है। पशु चिकित्सकों के अनुसार पालतू जानवरों को भी देखभाल की उतनी ही जरूरत पड़ती है, जितनी की एक आम इंसान को। आमतौर पर डॉग पालने के शौकीन लोग उनका टीकाकरण करवाने में लापरवाही करते हैं। जिस कारण उन्हें कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है।

राजकीय पशु चिकित्सालय हल्द्वानी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीसी जोशी ने डॉग पालने वाले लोगों के सवालों के जवाब दिए। साथ ही कुत्तों के सही डाइट चार्ट और पालन-पोषण के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि जो भी लोग घर में कुत्ता पालते हैं, वह उसे सुबह-शाम बाहर की सैर जरूर करवाएं। घूमने की कमी से कुत्ते भी डायबिटीज व हृदय की बीमारी के शिकार हो रहे हैं।

डॉग पालने के शौकीन हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि जब भी पपी (पिल्ला) खरीदें उसकी उम्र छह से सात सप्ताह की हो। घर पर ही अगर पिल्ला है तो छह माह तक नियमित उसे उसकी मां के पास रहने दें। इससे पहले पिल्ले को नहीं लेना चाहिए। 45 दिन की उम्र में पिल्ले का टीकाकरण अवश्य शुरू करवाएं।

वेजिटेबल फूड पसंद करते हैं डॉग
आमतौर पर यह माना जाता है कि डॉग मांसाहारी होते हैं, लेकिन घर में पाले जाने वाले डॉग जितना पसंद नॉनवेज करते है उतने ही शौक से वेजिटेबल भी खाते हैं। जरूरी हो तो सप्ताह में एक दिन ही डॉग को मांसाहार दें। बाजार में तमाम तरह के डॉग फूड उपलब्ध हैं। गाजर, लौकी खाना भी डॉग पसंद करते हैं। दो माह के पपी को उनके बॉडी वेट का 15 प्रतिशत आहार देना चाहिए। जिसमें एक समय में केवल 300 ग्राम तक आहार दें। वजन बढऩे पर केवल दस प्रतिशत आहार की जरूरत होती है। प्रारंभ में चार माह की उम्र तक दिन में चार से छह बार आहार दें।

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