देहरादून। संवाददाता। सूचना एंव लोकसम्पर्क विभाग में पारदर्शिता लाने हेतू आज पत्रकारों ने विभाग के गेट पर ताला जड़ जोरदार धरना प्रदर्शन किया। पत्रकारों ने विभाग के अधिकारियों पर दमन का आरोप लगाते हुए कहा कि मात्र कुछ अखबारों और चैनल घरानों पर ही विभाग के अधिकारी मेहरबान है। जबकि राज्य आंदोलन के समय कोई बड़ा अखबार यहां नहीं था और यह लड़ाई छोटे अखबारों ने ही लड़ी थी लेकिन राज्य बनने के बाद मलाई खाने के लिए बड़े अखबारों के छापेखाने यहां लग गये तथा विभाग द्वारा छोटे अखबारों की उपेक्षा की जाने लगी तथा उन्हे खत्म करने का षडयंत्र हो रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
धरने पर बैठे पत्रकारों का कहना है कि विगत 18 वर्षो से जारी होने वाले अमर शहीद श्रीदेव सुमन से सम्बन्धित विज्ञापन जारी न किया जाना यह भी दर्शाता है कि सूचना विभाग इन उत्तराखण्डी सपूतों की स्मृति आम जनमानस के दिमाग से भुला देना चाहता है। उन्होने कहा कि विभाग विगत कुछ वर्षो से उत्तराखण्ड के पत्रकारों को ट्टबहुत भीड़ हो गयी’ बताकर अपमानित कर रहा है। इसी सोच का परिणाम है कि 29 जनवरी के बाद लगभग छह माह से लघु व मध्यम श्रेणी के अखबारों को एक भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। उन्होने कहा कि इसी लघु व मध्यम मीडिया के माध्यम से ही भाजपा सरकार को अनेक नेता मिले है।
उनका कहना है कि बीते रोज तीन घंटे तक चले सांकेतिक धरने पर यदि महानिदेशक को अपनी जवाबदेही का अहसास होता तो व धरना स्थल पर पहुंचते और पत्रकारों की मांग न्यायोचित मानकर उनके आत्म सम्मान की रक्षा कर सकते थे। उन्होने कहा कि आत्मसम्मान की रक्षा हेतू ही हमे अपने सूचना विभाग के दफ्तर पर तालाबंदी करने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होने कहा है कि उन्हे विश्वास है कि सरकार हमारी मांगों पर अवश्य ध्यान देगी।