देहरादून। करीब 695 करोड़ रुपये के भारी भरकम वित्तीय घाटे में फंस चुके उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के पास अब बिजली महंगी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। निगम बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। 30 नवंबर तक निगम आयोग में अपनी याचिका दाखिल करेगा। निगम के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की संभावना से इनकार नहीं किया है।
हालांकि उनका कहना है कि 695 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान की काफी भरपाई आयोग में याचिका दायर करने के उपरांत हो जाएगी। उनकी मानें तो केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विद्युत गृहों से उत्पादित बिजली की दरों में इजाफा होना नुकसान की प्रमुख वजह है। इसके अलावा राज्य तथा केंद्र की बिजली परियोजनाओं में नदियों में कम पानी होने की वजह से उत्पादन गिरा, जिस कारण निगम को खुले बाजार से महंगी बिजली खरीदनी पड़ी।
वित्तीय घाटे के पांच प्रमुख कारण
-199 करोड़ रुपये का नुकसान केंद्र सरकार के उपक्रम टीएचडीसी, एसजेवीएनएल, एनटीपीसी, एनएचपीसी के विद्युत गृहों से उत्पादित बिजली की दरों में वृद्धि से हुआ।
-46 करोड़ रुपये का नुकसान उत्तराखंड जल विद्युत निगम की परियोजनाओं में उत्पादन की कमी के कारण हुआ।
-110 करोड़ रुपये का नुकसान केंद्रीय उपक्रमों के विद्युत उत्पादन में कमी के चलते बाजार से महंगी बिजली खरीदने से
– 75 करोड़ रुपये का घाटा पावर ग्रिड के ट्रांसमिशन की दरों में हुई वृद्धि से हुआ। ये दरें विद्युत नियामक आयोग ने बढ़ाई।
-195 करोड़ रुपये का पूर्व वर्षों में अधिक अनुमन्य धनराशि के समायोजन से हो रहा है।
-40 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान राज्य पुनर्गठन के दौरान परिसंपत्तियों के कम आकलन से हो रहा है
7700 कर्मचारियों को भी महंगी बिजली
यूपीसीएल के वित्तीय प्रबंधन के लपेटे में अब ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों के 7700 कर्मचारी भी आ जाएंगे। इन सभी कार्मिकों की बिजली दरों में वृद्धि होगी और इसकी सीमा भी तय की जाएगी। यह निर्णय लेने से पहले निगम प्रबंधन तीनों निगमों के अधिकारियों और कर्मचारियों को भरोसे में लेगा।
विद्युत नियामक आयोग में 30 नवंबर तक हम याचिका दायर करेंगे। इस याचिका में निगम बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव करेगा। हमें पूरा भरोसा है कि निगम की बैलेंस शीट में जो घाटा दिखाई दे रहा है, उसके बड़े हिस्से की भरपाई आयोग कर देगा। लेकिन उसके बाद भी जो वित्तीय नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए विद्युत दरों में वृद्धि किया जाना आवश्यक है।
– बीसीके मिश्रा, प्रबंध निदेशक, यूपीसीएल