देहरादून। संवाददाता। देश के 21 शहर भीषण जल संकट की चपेट में है। देश में 60 करोड़ लोग पेयजल संकट या फिर गंदे पानी से सीधे प्रभावित हैं। दुनिया की तरह भारत भी जल संकट के मुहाने पर खड़ा है। उत्तर भारत की प्यास बुझाने वाले हिमालयी राज्यों में जलसंकट एक समस्या बनता जा रहा है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसके बाद अल्मोड़ा स्थित जीबी पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान ने जल संरक्षण के एक प्रोजेक्ट पर काम शुरु किया है।
नीति आयोग से इस प्रोजेक्ट को मंज़ूरी मिलने के बाद हिमालयी राज्यों में जल की स्थिति जानने के लिए 11 हिमालयी राज्यों में 12 (उत्तराखंड में दो) ज़िलों का इस प्रोजेक्ट के तहत चयन किया गया है। प्रोजेक्ट में इन ज़िलों में वाटर सेंचुरी बनाई जाएंगी।
देश के 11 हिमालय राज्यों- उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, असम, मिजोरम, पश्चिम बंगाल (पहाड़ी क्षेत्र) में यह प्रोजेक्ट शुरु किया जा रहा है। पहले चरण में जम्मू कश्मीर का कोई ज़िला नहीं लिया गया है। देश के 11 हिमालय राज्यों- उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, असम, मिजोरम, पश्चिम बंगाल (पहाड़ी क्षेत्र) में यह प्रोजेक्ट शुरु किया जा रहा है। पहले चरण में जम्मू कश्मीर का कोई ज़िला नहीं लिया गया है।
जीबी पंत हिमालय पर्यावरण और विकास संस्थान अल्मोड़ा में स्थिति है इसलिए उत्तराखंड में एक और ज़िले चंपावत का इस प्रोजेक्ट के लिए चयन किया गया है।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक किरीट कुमार ने को बताया कि इन सभी ज़िलों में पेयजल की स्थिति जानने के लिए के लिए संस्थान ने टीम बना दी है। ये टीमें चयनित जगह में मौजूद प्राकृतिक जल स्रोतों का डॉक्यूमेंटेशन करेंगी।