देहरादून। संवाददाता। सत्ता का खेल भी बड़ा अजबकृगजब है। कल तक जिस सीबीआई को भाजपा सत्ता का तोता बताती थी वहीं सीबीआई अब भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है और कांग्रेसी नेता भाजपा सरकार पर सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगा रहे है।
सत्ता में उठा पटक के दौरान 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का जो स्टिंग आप्रेशन चर्चाओं के केन्द्र में आया था सीबीआई उस मामले में हरीश रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने जा रही है। सीबीआई की जांच का शिंकजा जैसे जैसे कसता जा रहा है। कांग्रेसियों की बेचैनी और कशमशाहट भी बढ़ती जा रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि मेरे ही घर डकैती हुई और मुझे ही आरोपी ठहराया जा रहा है जिनके घर माल मिला उनके खिलाफ कुछ नहीं हो रहा है। वहीं प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है। स्टिंग तो उसी समय दूसरे पक्ष का भी हुआ था फिर सीबीआई द्वारा एक तरफा हमारे ही खिलाफ कार्यवाही क्यों? भाजपा सरकार अगर निष्पक्ष काम कर रही है तो दूसरे पक्ष के खिलाफ भी कार्यवाही हो।
उधर गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि जब हमारे साथ भाजपा का कोई विधायक आया ही नहीं तो हमने खरीद फरोख्त कहां से कर ली। खरीद फरोख्त तो उन्होने की जिनके पास हमारे विधायक चले गये।खास बात यह है कि जो कांग्रेसी नेता आज चिल्ला रहे है कि उनके साथ गलत हो रहा है जबकि दूसरे पक्ष ने भी गलत किया है। सवाल यह है कि क्या दूसरे पक्ष के भी दोषी होने पर कांग्रेस नेताओं को निर्दोष होने का सर्टिफिकेट मिल सकता है या उनका दोष, दोष नहीं माना जा सकता है।
कांग्रेस नेताओं की यह मांग सही हो सकती है कि जब दूसरे पक्ष का भी स्टिंग हुआ था तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए थी लेकिन गलत तो गलत ही कहा जायेगा। वह चाहे किसी के द्वारा भी किया गया हो। लेकिन यह सत्ता का खेल है जिसके हाथ सत्ता की लाठी है भैंस तो उसी की होगी। यह बात कांग्रेस नेताओं को भी समझ आनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस तरह की कार्यवाही इस दौर में की जा रही है वह भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है क्योंकि भ्रष्टाचार पर अब तक जो नूरा कुश्ती होती रही है उस पर इससे विराम जरूर लगेगा।