देहरादून। संवाददाता। भले ही पुलिस व परिवहन विभाग के अधिकारी नये मोटर वाहन एक्ट को लेकर लोगों को आस्वस्थ कर रहे हो कि उन्हे डरने की जरूरत नहीं है वह कागजात पूरे रखें और यातायात नियमों का पालन करें लेकिन आम आदमी फिर भी भयभीत है लोगों का कहना है कि उन्हे नये नियम कानूनों से डर नहीं है उन्हे नियम कानूनों को लेकर की जाने वाली पुलिसिया कार्यवाही का ज्यादा डर है। क्योंकि वह अपने आगे किसी की नहीं सुनते वह जो कहें वही सही बाकी सब गलत।
अभी उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के नये मोटर वाहन एक्ट में संशोधन के बाद शासनादेश भी जारी नहीं किया गया है लेकिन पुलिस व परिवहन विभाग ने नये एक्ट के तहत चालान करने शुरू कर दिये है। जनता को कानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस आखिर कानून का पाठ कब पढे़गी? यह समझ से परे है।
एक तरफ परिवहन और पुलिस के आलाधिकारी लोगों को यह समझा रहे है कि नये यातायात नियमों को लेकर उन्हे भयभीत होने की जरूरत नहीं है लेकिन वहीं राजधानी दून की सड़कों पर पुलिस व परिवहन विभाग ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। उनके द्वारा न सिर्फ नियम विरूद्व चालान किये जा रहे है वहीं गलत तरीके से उन्हे परेशान भी किया जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर वह पुलिसकर्मी भी वाहनों के कागजात चैक कर रहे है जिन्हे इसका अधिकार नहीं है अपितु चालान भी काट रहे है। हाथों में चालान बुक लिये कुछ पुलिसकर्मी जबकि सब इंस्पेक्टर से ऊपर वाली रैंक के पुलिस कर्मी ही चालान काट सकते है।
हद तो यह है कि उन्होने पहले ही चालान बुकों पर इंस्पेक्टर के साइन करा रखे है। जबकि कानून के अनुसार चालान पर हस्ताक्षर करने वाले इंस्पेक्टर का मौके पर मौजूद होना जरूरी होता है। बीते कल एक मैजिक वाहन चालक का 10 हजार का चालान काट दिया गया यह चालान ड्रिंक एण्ड ड्राइव में काटा गया। इससे पूर्व एक छात्र द्वारा अपना 1500 के चालान काटने की शिकायत एसएसपी से की गयी थी। सवाल यह है कि जब अभी तक सूबे में नया मोटर वाहन एक्ट लागू ही नहीं हुआ है तो फिर नये नियमों के अनुसार यह चालान काटने की कार्यवाही क्यों? पैनिक फैलाने का काम तो खुद पुलिस ही कर रही है। सूबे में अधिकांश वाहनों का संचालन बिना प्रदुषण जांच के ही हो रहा है।
जांच केन्द्रों की संख्या कम होने की वजह से जांच पूरी होने में छह माह का समय लगेगा। अधिकारी कह रहे है कि अगर किसी वाहन का प्रदुषण जांच में सही पाया जाता है और प्रदुषण जांच प्रमाण पत्र नहीं है तो सिर्फ पांच रूपये का ही जुर्माना लगेगा। नये मोटर वाहन एक्ट को बिना किसी पूर्व तैयारी के ठीक वैसे ही लागू कर दिया गया है जैसे नोटबंदी की गयी थी। यही कारण है कि अचानक इस नये एक्ट के आने से लोगों को परेशानियां तो हो रही है। वह कागजी औपचारिकता को पूरा करने के लिए एक बार फिर से लाइनों में खड़े है। उन्हे अब कागजात होते हुए भी वाहनों को घर से निकालते हुए भय सता रहा है कि पता नहीं कहां पुलिस वाले किस बात को लेकर उनका हजारों का चालान न काट दें।