देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश से नये एम वी एक्ट के तहत किये जाने वाले वाहनों के चालानों की जो तस्वीरें सामने आ रही है तथा पुलिस कर्मियों द्वारा जिस तरह का बर्ताव वाहन चालकों के साथ किया जा रहा है व जिस तरह देश की जनता चालान के भय से लाइनों में खड़ी है उससे साफ समझा जा सकता है कि चालान के चक्कर ने जनता का किस कदर घनचक्कर बना दिया है।
सडकों पर चालान को लेकर पुलिस कर्मियों से वाहन चालकों की भिंड़त और पटका पटकी से लेकर 10 हजार से 6 लाख तक चालानों के काटे जाने की सैकड़ो तस्वीरेें लोग अब तक देख चुके है। दून के सहसपुर क्षेत्र में एक खेत में खड़ी भैंसा बुग्ग्गी का चालान पुलिस ने काट दिया। कार चालक ने हेलमेट नहीं पहना था इसलिए पुलिस उसका चालान काट देती है। जब हंगामा होता है और खबरेें सामने आती है तो पुलिस वाले इसे मानवीय भूल बता कर अपना बचाव करते दिखते है। सवाल यह है कि चालान काटने वाले इन पुलिस कर्मियों को नये एमवी एक्ट की जानकारी नहीं है तो बेचारी आम जनता को इन नये नियमों की जानकारी भला कैसे हो सकती हैघ् पुलिस कर्मी जो चालान काट रहे है क्या वह किसी वाहन चालक को इस आधार पर छोड़ सकते है कि वह भी मानव है और मानवीय भूल के कारण ही वह नियमों का उल्लघंन कर रहे है।
जनता का चालान काटने वाले इन पुलिस कर्मियों को क्या प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है। जिन्हे नये एक्ट की एबीसीडी भी पता नहीं है।
नये एमवी एक्ट में एक दो नहीं कई दर्जन ऐसे नियम है जिनके बारे में आम आदमी को कोई जानकारी नहीं है। उदाहरण के तौर पर चप्पल पहन कर वाहन चलाना और किस नियम के उल्लंघन पर कितना जुर्माना है आदि आदि। खास बात यह है कि वाहन चालक अगर इसका विरोध करता है तो पुलिस कर्मी उसके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट पर आमादा हो जाते है। तथा वाहन चालक के खिलाफ ही सरकारी काम में बाधा डालने जैसे कई चार्ज लगाकर उस पर मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में वाहन चालकों का भयभीत होना स्वाभाविक ही है और यह भय इन दिनों सड़कों पर चलने वाले हर आम आदमी के चेहरे पर दिख रहा है। खास बात यह है कि सत्ता में बैठे लोग इसे अपनी सफलता बताते हुए कह रहे है कि यह भय दिखना ही चाहिए तभी लोग कानून का पालन करेंगेेघ् इन दिनों नोटबंदी के दौर की तरह लोग अपने सभी कागजात संबधी औपचारिकताओं को पूरा कराने के लिए लाइनों में खड़े है।
सरकार ने बिना किसी तैयारी और जन जागरूकता के नया एमवी एक्ट लागू कर दिया है। जिसके चक्कर में एक बार फिर जनता का घनचक्कर बना हुआ है। नये नियम कड़े ही नहीं है इतने अधिक है कि सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंसए आरसीए इश्योरेंस व पाल्यूशन सर्टिफिकेट तक ही सीमित नहीं है। भले ही आपके पास कागजात पूरे हो लेकिन पुलिस वालों ने कुछ न कुछ ऐसा ढूंढ ही लेना है कि वह आपका चालान काट सकें। और आपको अपने सामने गिड़ गिड़ाने पर मजबूर कर दें। भले ही बड़े अधिकारी इन पुलिस कर्मियों को सीनियर सिटीजन व महिलाओं के अच्छे व्यवहार की ताकीद दे रहे हो लेकिन पुलिस वाले तो पुलिस वाले है वह सुनते किसकी है।