देहरादून। आशीष बडोला।
उत्तराखण्ड में डेंगू का आतंक पसरा हुआ है। हालात ये है कि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पीड़ितों का आंकड़ा 2000 के पार पहुंच चुका है। वास्तविक आंकड़े सरकार भी छुपा रही है, जनता, सरकार, पुलिस प्रशासन और शिक्षा विद तक डेंगू की चपेट में है। अकेले देहरादून की बात करें तो करीब 1400 लोग डेंगू से पीड़ित हो चुके हैं। हालात ये हैं की अस्पतालों में बेड तक नहीं हैं और सरकार डेंगू से मरने वाला की संख्या सिर्फ 6 बता रही है। जबकी अभी तक सूबें में डेंगू से मरने वालों की संख्या 24 के पार पहुंच चुकी है।
ऐसे में सवाल उठता है की सरकार डेंगू को लेकर पहले से सचेत क्यों नहीं थी। सर्दियां शुरू होने को हैं और स्वाइन फ्लू दस्तक दे चुका है। कौलागढ़ में एक बुजुर्ग की स्वाइन फ्लू से ग्रसित होने की पुष्टी हुई है जो सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है। डेंगू से हालात इतने खराब हैं की केंद्र सरकार तक इसकी गूंज पहुंच चुकी है।
वहीं सूत्रों की माने तो सतपाल महराज को विधानसभा चुनाव के दौरान आश्वासन दिया गया था कि कुछ समय बाद उनकी ताजपोशी उत्तराखण्ड के मुखिया के तौर पर कर दी जायेगी। इतना हीं नहीं उन्होंने केंद्र में अपनी ताजपोशी के लिए बिसात बिछानी भी शुरू कर दी है। इसके अलावा राज्यसभा सांसद व केंद्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी भी खुद को उत्तराखण्ड की ओर साधने का प्रयास कर रहे हैं।
एक साल के भीतर उन्होंने राज्य के लिए 12 बड़े काम करा दिए हैं, जिनमें रेल सेवा सहित ऐम्स अस्पताल प्रमुख हैं। उनका अपना वोट अपने गांव अभियान को सूबें में काफी पसंद किया जा रहा है। जाहिर सी बात है बलूनी केंद्रीय राजनीति की धूरी के इर्द-गिर्द सबके चहिते हैं। ऐसे में उनका उत्तराखण्ड की ओर झुकाव स्पष्ट करता हैं, उनका सूबें के मुखिया बनने का ख्वाब मन ही मन चल रहा है। यदि त्रिवेंद्र को किसी का सहारा है तो वो है अमित शाह। मगर शाह कब तक आपकी कुर्सी बचायेंगे जनाब। यदि हालात ऐसे ही रहे तो संभावित है। सूबें में मुखिया की कुर्सी पर दूसरे राजा की ताजापोशी हो सकती है।