शनिवार तक प्रदेश में 232 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें देहरादून के 173 मरीज भी शामिल हैं। नैनीताल में 55, चमोली में तीन व ऊधमसिंहनगर में एक और मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई। इस तरह राज्य में अब डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या चार हजार (4075) के आंकड़े को पार कर गई है।
देहरादून : यहाँ डेंगू महामारी का रूप ले चुका है। डेंगू रोगियों का आंकड़ा 4000 पार पहुँच चुका है। सरकारी अस्पतालों में पिछले ढ़ाई माह में 11881 लोगों के ब्लड सैंपल की जांच हो चुकी है। इनमें 2607 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। अब तक दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब में सबसे अधिक 9414 ब्लड सैंपल की जांच हुई है। वहीं गांधी शताब्दी नेत्र अस्पताल की लैब में 1325, कोरोनेशन अस्पताल में 598, एसपीएस अस्पताल ऋषिकेश में 446 और सीएचसी रायपुर में 98 डेंगू संदिग्ध मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच हो चुकी है।
शनिवार तक प्रदेश में 232 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें देहरादून के 173 मरीज भी शामिल हैं। नैनीताल में 55, चमोली में तीन व ऊधमसिंहनगर में एक और मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई। इस तरह राज्य में अब डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या चार हजार (4075) के आंकड़े को पार कर गई है।
देहरादून में इस बार डेंगू का सबसे ज्यादा कहर बरप रहा है। शनिवार तक डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 2607 हो गई है।नैनीताल में भी डेंगू का कहर बढ़ता जा रहा है। यहां मरीजों की संख्या बढ़कर 1189 तक पहुंच गई है। ऊधमसिंहनगर में भी डेंगू के मरीजों की संख्या 86, टिहरी में 15, पौड़ी में 12, अल्मोड़ा में नौ, रुद्रप्रयाग में छह, चमोली में तीन व चंपावत में दो हो गई है। डेंगू के बढ़ते प्रकोप व मच्छर के घातक होते स्ट्रेन से जिम्मेदार महकमों की नींद उड़ी हुई है।
रोजाना किस तरह लोग डेंगू की चपेट में आ रहे हैं इसकी तस्वीर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते दबाव से साफ होती है। अस्पतालों की ओपीडी में सुबह से ही मरीजों की भारी भीड़ लग जा रही हैं, वहीं आईपीडी (वाडरे) में भी बेड फुल हैं। पैथोलॉजी लैब के बाहर भी मरीजों की लंबी कतार देखी जा सकती है। डेंगू अब तक 12 मरीजों की जान लील चुका है। हालांकि सरकारी दस्तावेजों में इस बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या सात बताई जा रही है। जिन पांच मरीजों का डेथ आडिट कराने की बात स्वास्य महकमा कर रहा था उसको अब तक कोई अता-पता नहीं। विभागीय अधिकारियों द्वारा किये गये अधिकांश दावे खोखले साबित हुए हैं।