‘वाटर सेंक्चुअरी’ से दूर होगा देश के हिमालयी राज्यों का जलसंकट

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देहरादून। देश के हिमालयी राज्यों में साल दर साल तेजी से गहराते जलसंकट से निपटने के लिए अब वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी की तर्ज पर ‘वाटर सेंक्चुअरी’ का निर्माण किया जाएगा। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान अल्मोड़ा को सौंप दी है। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस) के तहत वैज्ञानिकों ने योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
एनएमएचएस के नोडल अधिकारी एवं संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. किरीट कुमार ने बताया कि पायलट प्रोजेेक्ट के तौर 12 हिमालयी राज्यों में 12 जिले चिह्नित किए गए हैं। इसमें उत्तराखंड का चंपावत, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग, असम के दीमा हिसाब जैसे जिले शामिल किए हैं।

इन राज्यों के उन जिलोें को चयनित किया है जिन्हें नीति आयोग ने विशेष जिले के रूप में चिह्नित किया है। इन जिलों में संकटग्रस्त जलस्रोतों को चिह्नित करने के साथ ही उन्हें वाटर सेंक्चुअरी के तौर पर विकसित किया जाएगा, इसमें ग्रामीणों की भी मदद ली जाएगी। इसके तहत टीमें जलस्रोतों को चिह्नित करने, सूखे जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने, जल की गुणवत्ता और भूमिगत जल से जुडे़े पहलुओं का अध्ययन कर रही है।

तीन लाख जलस्रोतों पर वैज्ञानिकों की नजर
वाटर सेंक्चुअरी प्रोजेक्ट के तहत वैज्ञानिकों की नजर 12 हिमालयी राज्यों के तीन लाख से अधिक छोटे-बड़े जलस्रोतों पर है। टीमें उन जलस्रोतों को चिह्नित कर रही है जिन्हें वाटर सेंक्चुअरी के तौर पर विकसित किया जा सकता हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी राज्यों में औसतन 50 फीसदी जलस्रोत ऐसे हैं जिन्हें वाटर सेंक्चुअरी के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

चंपावत के 600 गांवों और अल्मोड़ा के 250 गांवाें की जियोमैपिंग
परियोजना के तहत चंपावत के 600 गांवों और अल्मोड़ा के 250 गांवों की जियोमैपिंग की जा चुकी है। इसके माध्यम से जलस्रोतों का डाटा तैयार किया जा रहा है। जबकि योजना के अगले चरणों में हिमालयी राज्यों के सभी जिलों की जियो मैपिंग कराई जाएगी।

राज्य के 22 विकासखंडों में पानी का संकट
जीपी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए हालिया शोध में यह बात सामने आई है कि उत्तराखंड के 22 विकासखंडों में पानी का संकट है। इसके लिए समय रहतेे कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक पौड़ी और अल्मोड़ा जिले में पानी की समस्या कुछ ज्यादा है।

हिमालयी राज्यों में पानी के संकट से निपटने के लिए वाटर सेंक्चुअरी प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। योजना के पहले चरण में 12 चयनित जिलों में जलस्रोतों को चिह्नित करने के साथ ही उन्हें पुनर्जीवित करने, जल की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। परियोजना से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट 15 अक्तूबर तक केेंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।
-डॉ. किरीट कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी एनएमएचएस

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