देहरादून। संवाददाता। राज्य गठन के साथ उत्तराखण्ड को एक पर्यटन प्रदेश बनाने की जिस अवधारणा को जिस सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा गया था आज राज्य गठन के 19 साल बाद इस प्रदेश के पर्यटन की क्या स्थिति है यह तो सब जानते ही हैं। आज इस सूबे के पर्यटन मंत्री और पर्यटन विभाग को यह तक याद नहीं है कि आज विश्व पर्यटन दिवस है जबकि यू एन डब्ल्यू टी ओ द्वारा इस वर्ष भारत को विश्व पर्यटन दिवस के आयोजन का होस्ट राष्ट्र बनाया गया है और इसकी मुख्य थीम ट्टटूरिज्म एण्ड जाब्स, ए बैटर फ्यूचर फोर आल, रखी गयी है।
पृथक राज्य बनने के बाद बीते 18 सालों में उत्तराखण्ड के पर्यटन को विकसित करने की दिशा मेें अब तक की सरकारों द्वारा कितना काम और प्रयास किया गया है इसका सच न सिर्फ यहां आने वाले पर्यटक जानते है बल्कि हर एक आम आदमी भी इससे भली भंाति वाकिफ है। हर साल चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकारों को यह अच्छी तरह से पता है कि अगर राज्य में यह चार धाम नहीं होता जिनकी आस्था से वही श्रद्धालू अपनी जान की बाजी लगाकर यहां आते है तो न जाने इस सूबे के पर्यटन की क्या स्थिति होती और इस यात्रा सीजन से रोजी रोटी कमाने वाले डंडी कंडी और घोड़ा खच्चर वालों का क्या हाला होता?
एक सत्य जिसे समझ कर भी अनसमझा कर दिया कि इस राज्य में पर्यटन की अपरमित संभावनाएं मौजूद है आज तक उस दिशा में ऐसा ठोस कुछ भी नहीं किया गया जो राज्य को पर्यटन राज्य और प्रदेश की आर्थिकी का प्रमुख आधार बना पाता। कपोल कल्पित घोषणाएं और पर्यटन विकास के नाम पर लूट खसोट के राज्य का पर्यटन कभी राज्य की आय का जरिया नहीं बन सका है। राज्य गठन से पूर्व विश्व पर्यटन दिवस पर सभी होटल और रेस्टोरेंटों के प्रवेश द्वार पर बड़े बड़े पोस्टर और होर्डिंग्स लगाये जाते थे। पर्यटकों को विशेष छूट व पैकेज घोषित किये जाते थे जो अब कहीं भी दिखायी नहीं देते है।
न अखबारों और टीवी पर कहीं कोई प्रचार प्रसार नहीं दिखायी देता है। पर्यटन विभाग द्वारा इस अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता था लेकिन आज पर्यटन मंत्री और पर्यटन विभाग को यह जानकारी तक नहीं है कि आज विश्व पर्यटन दिवस है। दरअसल राज्य सरकार यह माने बैठी है कि उसे कुछ करने की जरूरत नहीं है। सब कुछ केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है। रेल लाइन, हवाई सेवा, चारधाम आल वेदर रोड, सब कुछ केन्द्र को ही करना है।