कक्षा पांचवीं से पीजी तक सेमेस्टर सिस्टम होगा लागू

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देहरादून। दून विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता उन्नयन पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में यूजी में सेमेस्टर सिस्टम को बंद किया जाएगा। इस व्यवस्था को फैकल्टी पूरी होने के बाद फिर शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में यह तय किया जा रहा है कि कक्षा पांचवीं से पीजी तक से सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया जाए।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में 30 छात्रों पर एक शिक्षक का मानक तय किया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में इस मानक के अनुसार शिक्षकों की तैनाती अभी संभव नहीं है। यहां महाविद्यालयों में एक शिक्षक पर हैं 47 छात्र हैं। उत्तराखंड में छात्र, शिक्षक के अनुपात को ठीक करने में करीब पांच साल लगेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की उद्योगों के साथ समन्वय को लेकर कमेटी बनेगी। तीन विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की यह कमेटी समन्वय को लेकर सरकार को अपने सुझाव देगी।

कमेटी देखेगी कि उद्योगों को किस तरह के दक्ष युवाओं की जरूरत है। इसके अलावा देहरादून में रूसा और उच्च शिक्षा का क्षेत्रीय कार्यालय बनाने का एलान किया। प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उच्च शिक्षा का अपना पोर्टल होना चाहिए। संगोष्ठी में प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार ने महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के दौरान अपने अनुभव को साझा किया। संगोष्ठी में अपर सचिव अहमद इकबाल, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एससी पंत, संयुक्त निदेशक कुमकुम रौतेला, उप निदेशक डॉ. डीसी नैनवाल, प्रोफेसर यतीश वशिष्ठ, एसपी सती आदि मौजूद रहे।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश का प्रत्येक महाविद्यालय एक गांव को गोद लेगा। उन्नत भारत अभियान के तहत गांवों को लिया जाएगा। इसे अनिवार्य रूप से सभी महाविद्यालयों के लिए लागू किया जाएगा।

देश के टॉप 25 विश्वविद्यालयों के साथ होगा एमओयू
संगोष्ठी में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर से देश के टॉप 25 विश्वविद्यालयों के साथ यह करार होगा कि उनके विवि में जो अच्छा पढ़ाया जाता है उसे हम यहां भी पढ़ाएंगे। सभी विवि में इसे लेकर इंटर स्टेट प्रोग्राम चलाया जाएगा।

80 में से शिक्षक ने दे दिए 89 नंबर
एक विद्यार्थी को शिक्षक ने 80 में से 89 नंबर दे दिए। कुछ महाविद्यालयों में इस तरह से विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो रहा है। यह कहना है श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस रावत का। रावत ने यह बात यहां दून विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता उन्नयन विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही।

कुलपति ने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में जिस तरह की गंभीरता होनी चाहिए वह नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस तरह से नंबर देने वाले शिक्षक का नाम नहीं बताएंगे, लेकिन ऐसा हुआ है। नए विश्वविद्यालयों के बारे में उन्होंने कहा कि मैदान की जगह पहाड़ में विश्वविद्यालय खोेले जाने चाहिए। संगोष्ठी में कहने को बहुत सी बातें की जा रही हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और है। महाविद्यालयों में बिजली नहीं है, इंटरनेट नही है। उन्होंने बताया कि वह देहरादून जनपद के एक महाविद्यालय में गए थे, लेकिन उस दौरान बिजली न होने की वजह से विद्यार्थी प्रयोगशाला तक नहीं पहुंच पा रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ों में बालिकाओं की सुरक्षा की दृष्टि से होस्टल बनाए जाने चाहिए।

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