राजभवन के आदेश की शासन में नाफरमानी, एक विश्वविद्यालय से जुड़ा है मामला

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देहरादून। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में हुई प्रशासनिक गड़बड़ियों और अनियमितताओं से जुडे़ मामलों पर राजभवन के 15 दिन के भीतर कार्रवाई के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है। राज्यपाल ने 22 दिन पहले प्रकरण में कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। आलम यह है कि राज्यपाल के आदेश के बाद शासन ने विवि प्रशासन से रिपोर्ट तलब की, लेकिन जवाब नहीं मिलने के बाद भी कोई सख्त कदम नहीं उठाया।

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर अभ्यर्थियों को पीएचडी की उपाधि दिए जाने का मामला सामने आया था। आरोप है कि कुछ अभ्यर्थियों को बगैर प्रवेश परीक्षा के पीएचडी के लिए पंजीकृत किया गया और डेढ़ साल के भीतर ही उन्हें उपाधि दे दी गई। इसके अलावा वर्ष 2009 और 2010 में उन लोगों को इसकी उपाधि दी गई जिनका विभिन्न विश्वविद्यालयों से यहां ट्रांसफर किया गया था। वहीं 2010 में वाइवा और 2011 में पंजीकरण का भी आरोप लगा था।

वर्ष 2017 में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में भी गड़बड़ी का आरोप लगा था, लेकिन इस मामले में अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। नौ सितंबर को राज्यपाल बेनी रानी मौर्य ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक लेते हुए इस मामले में शासन को सचिव स्तर से 15 दिनों के भीतर अंतिम जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था। राज्यपाल ने मामले में कानूनी कार्रवाई के भी निर्देश दिए थे, लेकिन राज्यपाल के निर्देश के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में है।

यूटीयू से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है, प्रकरण को जांच के लिए अब एसआईटी को सौंपे जाने पर विचार किया जा रहा है।
– अशोक कुमार, सचिव तकनीकी शिक्षा 

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