देहरादून। संवाददाता। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उम्मीद जताई है कि अयोध्या राम मन्दिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनभावनाओं के अनुरूप ही आयेगा। साथ ही उन्होने सभी लोगों से धैर्य व संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि सभी धर्म व सम्प्रदाय के लोगों को अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।
रामजन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चली आ रही सुनवाई का आज अंतिम दिन था। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा पहले ही इस मामले की सुनवाई की अंतिम तिथि का एलान कर दिया गया था। जिसके अनुसार सभी पक्षों को नियत समय के अनुसार उन्हे अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। अब जब सुनवाई पूरी हो चुकी है तो सभी की नजरें देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले ेपर लगी हुई है। दशकों पुराने इस विवाद का देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा क्या स्थायी समाधान दिया जाता है? सभी के जहन में बस एक ही सवाल है। साथ ही फैसले के बाद क्या सामाजिक प्रतिक्रियायें सामने आती है इस पर भी शासन प्रशासन की नजरें लगी हुई है।
इस बीच आज सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि सारे साक्ष्य व प्रमाण राम मन्दिर के हक में है। पुरात्व विभाग द्वारा भी जो साक्ष्य दिये गये है वह भी यही बताते है। उन्होने कहा कि राम का जन्म स्थान तो एक ही हो सकता है। रही बात मन्दिर, मस्जिद व गुरूद्वारा बनाने की तो वह कहीं भी बनाये जा सकते है। उन्होने कहा कि अगर राम की जन्मभूमि पर राम मन्दिर नहीं बनेगा तो और कहां बनेगा। उन्होने कहा कि बाबर आक्रांता था और ऐसे आंक्राता को कहीं भी सम्मान नहीं मिलता है। उन्होने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनभावनाओं के अनुरूप ही आयेगा। साथ ही उन्होने सभी समुदायों के लोगों से धैर्य व संयम बरतने की अपील करते हुए कहा है कि किसी भी मसले का समाधान आक्रोश या गुस्से से नहीं बल्कि शांतिपूर्ण ढंग से ही होना चाहिए। अदालत का जो भी फैसला आयेगा उसका सभी को सम्मान करना चाहिए। उन्होने कहा कि उन्हे उम्मीद है कि अयोध्या में बहुत जल्द राम मन्दिर निर्माण का काम शुरू हो जायेगा।