देहरादून। संवाददाता। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के उद्योगपति मित्र संजय नारंग का ड्रीम प्रोजेक्ट ढहलिया बैंक भवन मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। तीन अक्टूबर से परिसर के मुख्य भवन को जमींदोज करने के लिए चार जेसीबी मशीन और चार दर्जन मजदूरों की कड़ी मेहनत के बाद दो सप्ताह बाद भवन टूट सका।
मुख्य भवन के पूर्व दिशा में बने तीन मंजिला कॉटेज और मुख्य भवन के नीचे बने भूमिगत निर्माण को अभी तक नहीं तोड़ा जा सका है। उत्तर दिशा में मुख्य गेट से सटे और टेनिस कोर्ट के नाम पर बनी बगिया के नीचे बने कमरों को तोड़ने का कार्य अभी चल रहा है। मुख्य गेट के समीप बनी सुरक्षा चैकी के नीचे बने भूमिगत तहखाने में स्थापित पावर हाउस पर भी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
जल संग्रहण टैंक को तोड़ने का कार्य भी अभी शेष है। मालूम हो कि लंढौर कैंटोनमेंट बोर्ड की स्वीकृति लिए बगैर संजय नारंग ने ढहलिया बैंक प्रॉपर्टी पर यह भवन बनाया था। इस भवन को बचाने के लिए संजय नारंग और कैंट बोर्ड के बीच लगभग आठ साल तक निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई, लेकिन पहले हाईकोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट से ध्वस्तीकरण आदेशों को बरकरार रखने के बाद लंढौर कैंटबोर्ड ने तीन अक्टूबर को ध्वस्तीकरण कार्रवाई शुरू की गई थी।