देहरादून। दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को लाने के लिए फिलहाल 10 ट्रेनों के संचालन का प्रस्ताव है। सूरत से एक ट्रेन काठगोदाम, दूसरी पुणे से हरिद्वार और तीसरी सूरत से हरिद्वार पहुंच चुकी है। जबकि एक ट्रेन बुधवार को बेंगलुरू से हरिद्वार पहुंचेगी। इसके अलावा छह और ट्रेनें राज्य में प्रवासियों को लेकर आएंगी। अब तक विभिन्न माध्यमों से करीब 50 हजार प्रवासी राज्य में पहुंच चुके हैं।
सचिवालय मीडिया सेंटर में मंगलवार को सचिव शैलेश बगोली ने पत्रकार वार्ता में बताया कि उत्तराखंड आने के लिए 1 लाख 98 हजार 584 प्रवासी पंजीकरण करवा चुके हैं। जबकि अन्य राज्यों को जाने के लिए 29 हजार 975 लोगों ने पंजीकरण कराया है, इनमें से 11 मई तक 9970 लोग जा चुके हैं। उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों से दूसरे जनपदों को आने व जाने वाले व्यक्तियों की संख्या 52 हजार 621 है। उन्होंने कहा कि रेलवे के माध्यम से कई ट्रेनें उत्तराखंड में संचालित करने पर सहमति बनी है।
अभी तक चार ट्रेनें तय हो चुकी हैं। यात्रियों के टिकट का खर्च सरकार वहन कर रही है, जिसके लिए रेलवे को एक करोड़ रुपये एडवांस में जमा किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात, केरल, तेलंगाना आदि राज्यों में फंसे हुए लोगों को रेल से लाने की प्रक्रिया गतिमान है। जबकि बसों के माध्यम से प्रवासियों को लगातार लाया जा रहा है। इसके अलावा निजी वाहनों के पास भी जारी किए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल के लिए भी कुछ निजी वाहनों से आने के आवेदन आए थे, जिन्हें मंजूरी दे दी गई है। बताया कि लौट रहे प्रत्येक व्यक्ति को होम क्वारंटीन किया जा रहा है।
पंजाब, राजस्थान के लिए भी मांगी है ट्रेन
बगोली ने बताया कि राजस्थान के जयपुर में ढाई हजार से अधिक लोग फंसे हैं, जिनके लिए दो ट्रेनें रेलवे से चलाने का आग्रह किया है। वहीं, पंजाब से भी ट्रेनों के माध्यम से लोगों को लाने की कोशिश है। इसके अलावा चैन्नई, हैदराबाद, केरल और गोवा से भी ट्रेनों के संचालन की अनुमति मांगी गई है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की चलने से पूर्व स्क्रीनिंग की जाती है, पहुंचने के बाद दोबारा मेडिकल जांच होती है।
25 प्रतिशत पंजीकृत लोग नहीं चाहते हैं आना
सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि लगभग दो लाख लोगों ने उत्तराखंड लौटने के लिए पंजीकरण कराया है। कई लोग ऐसे हैं जिनके परिवार में से एक सदस्य ने ही पंजीकरण करवाया है। ऐसे में लौटने वाले कुल प्रवासियों की संख्या लगभग तीन लाख है। अगर परिवार से एक व्यक्ति भी पंजीकृत है तो उसके साथ के दूसरे लोगों को भी लाया जाना है। लेकिन इस आंकड़े में 25/ प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने पंजीकरण करवाया है, लेकिन अब राज्य में लौटना नहीं चाहते हैं। संभव है कि जहां यह लोग ठहरे हैं, वहां उन्हें कोई समस्या नहीं है। सरकार मान कर चल रही है कि लगभग 50 हजार लोग पंजीकरण के बावजूद वापसी नहीं करेंगे।
इन राज्यों से लौटे प्रवासी
हरियाणा से 13799
उत्तर प्रदेश से 11957
दिल्ली से 9452
चंडीगढ़ से 7163
राजस्थान से 2981
पंजाब से 2438
गुजरात से 1060
अन्य राज्यों से 1032