रो-रो कर मां से पूछ रहा दिव्यांशु अब मैं कैसे लिखूंगा

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देहरादून। संवाददाता। कुछ समय पहले ही तो मां ने उसे हाथ पकड़कर लिखना सिखाया था। अभी तो वो बचपन की अटखेलियों को ठीक जी भी नहीं सका था, मगर बिजली विभाग की लापरवाही के चलते डाक्टर्स को उसका सीधा हाथ काटना पड़़ा। जी हां यहां सात साल के दिव्यांशु की बात हो रही है। जो बीती 6 अक्टूबर को घर के करीब से जाने वाली हाईटेंशन तार की चपेट में आकर भविष्य के लिए रो रहा है। उसे उपचार के लिए कैलाश अस्पताल के आईसीयू रखा गया है, उसका पूरा शरीर अग्नि वर्षा का स्नान किया हुआ सा प्रतीत हो रहा हे।

इसके बावजूद भी दिव्यांशु मां से यही पूछ रहा है। अब मैं कैसे लिखूंगा, डाक्टर्स ने मेरा सीधा हाथ काट दिया है। सच में नियति ने दिव्यांशु के साथ बहुत गलत किया। मगर स्थानीय विधायक, रायपुर काऊ प्रधान भी इस ओर कुछ करते नहीं दिख रहे हैं। ना ही अब तक सरकार के किसी नुमाइंदे ने पीड़ित के परिजनों को सहयोग किया। जहां एक ओर परिजनों को आर्थिक बोझ ने जकड़ लिया है।

वहीं दिव्यांशु का अपने भविष्य को लेकर चिंता करना भी लाजमिय है। बता दे कि दिव्यांशु कंडारी सरस्वती विहार, डी-ब्लाॅक में रहता है। पिता दौलत सिंह कंडारी निजी स्कूल में वाहन चालक है। उनको कैलाश अस्पताल प्रशासन ने ईलाज में आने वाला खर्च करीब 11 लाख की धनराशि का इंतजाम करने को कहा है।

जो परिजनों के बस से बाहर है। अब परिजन आर्थिक तंगी में जकड़े हुए दिख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दिव्यांशु को भविष्य की चिंता सताने लगी है। क्योंकि जिस हाथ से वो रोज स्कूल का होमवर्क किया करता था, उसे डाक्टर्स ने बिजली विभाग को भेट कर दिया। वहीं सरकार ने भी परिजनों को सहयोग देने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है। डाक्टर्स का कहना है कि अभी मासूम की हालत गंभीर बनी हुई है।

 

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