उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में खर्च का ब्योरा जमा न करने वाले उम्मीदवार भी पांच साल बाद होने वाले चुनाव में प्रतिभाग कर सकेंगे। ऐसा संभव हुआ है राज्य निर्वाचन आयोग के संशोधित आदेश की वजह से। पूर्व में चुनावी खर्च का ब्योरा नहीं देने पर प्रत्याशी को छह साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता था। पर संशोधित आदेश के तहत ये समयसीमा छह साल से घटाकर तीन वर्ष कर दी गई है। अक्तूबर 2019 में प्रदेश में हरिद्वार जिले को छोड़ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे। इनमें से 30 प्रतिशत उम्मीदवारों ने खर्च का ब्योरा अब तक जमा नहीं किया है। चंपावत में 2014 के त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में खर्च का ब्योरा जमा नहीं कराने वाले 622 प्रत्याशी चाह कर भी अक्तूबर 2019 में हुए पंचायती चुनाव में हिस्सा नहीं ले सके थे। इन प्रत्याशियों को व्यय विवरण जमा नहीं करने के चलते चुनाव लड़ने के लिए छह साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था.लेकिन पिछले साल से इस स्थिति में बदलाव हो गया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त की ओर से पिछले साल 24 अक्तूबर को जारी आदेश में व्यय ब्योरा जमा नहीं कराने वाले उम्मीदवार को तीन वर्ष के लिए अनर्ह घोषित करने का प्रावधान किया गया है। अब 2019 के चुनाव में प्रतिभाग करने वाले प्रत्याशी अगर चुनाव खर्च का ब्योरा नहीं देते हैं तो तीन साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे। पर चुनाव हर पांच साल में होते हैं, लिहाजा ये अगला चुनाव लड़ सकेंगे