नोटबंदी के एक वर्ष पूरा होने पर आप ने निकाली केंद्र की शवयात्रा

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देहरादून। संवाददाता। आम आदमी पार्टी, द्वारा केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा देश की जनता पर जबरन थोपी गई विफल नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम के तहत धोखा-दिवस मनाया गया।इस कार्यक्रम के तहत आम आदमी पार्टी द्वारा मोदी सरकार की विफल नोटबंदी से उत्पन्न आर्थिक अवयवस्थाओं, बढ़ती बेरोजगारी व गरीबी और घोर मंदी के दौर से मृतप्राय हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था की अर्थी निकाली गई.

यह शवयात्रा लैंसडोन चैक से शुरू होकर दर्शनलाल चैक, घंटाघर, पलटन बाजार, धामावाला, हनुमान चैक, भंडारी चैक, झंड़ा बाजार से होते हुये सहारनपुर चैक पर जाकर समाप्त हुयी जहाँ ष्आपष् कार्यकर्ताओं ने मोदी की विफल नोटबंदी के विरोध में नोटबंदी, जीएसटी और फर्जी विकास का मुंडन कर नारेबाजी कर अर्थी दहन किया.

आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रशेखर भट्ट ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया कि 500 और 1000 के नोट अर्थव्यवस्था में चलन से हटा लिए जाएंगे. प्रधानमंत्री ने इस फैसले की वजह देश को ये बताई कि ऐसा अर्थव्यवस्था में मौजूद जाली नोटों और काला धन और आतंकवाद पर कार्रवाई करने के लिए किया गया है,

जहाँ तक आतंकवाद पर रोक लगाने की बात थी, साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार नोटबंदी के बाद भारत के अंदर साल 2017 में 649 लोग आतंकी घटनाओं में मारे गए हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि चलन से हटाए गए पैसे का 99 फीसदी वापस बैंकों में लौटकर आ गया है,

यानी नकदी के रूप में मौजूद लगभग पूरा ही काला धन बैंकों में जमा करा दिया गया और उम्मीदों के विपरीत वो बर्बाद नहीं हो पाया. रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल, 2016 से मार्च, 2017 के बीच 500 (पुरानी सीरीज वाले) और 1000 के 573,891 जाली नोटों की पहचान की गई. इसके पिछले साल 500 और 1000 के नकली 404,794 नोटों की पहचान की गई थी और ऐसा बिना किसी नोटबंदी के हुआ था. अतरू काले धन के स्तर पर नोटबंदी पूरी तरह विफल सिद्ध हुयी है.

देश में 94 फीसदी लोग गैर- संगठित क्षेत्र में है, जिनका रोजगार पूरी तरह से बर्बाद हो गया  है. भारत एक बड़ी कैश इकोनॉमी है और नोटबंदी की नीति ने मेहनत से कैश में रुपए कमाने वाले उन मजदूर तबके के लोगों को चोर बता दिया है. यहां तक कि माताओं-बहनों के द्वारा सालों से जमा की गई पूंजी को भी मोदी सरकार ने काला धन बता दिया. देश की बड़ी कंपनियों ने नई भर्तियों में करीब 45ः की कटौती की. बड़ी तादाद में लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई हैं।

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