वन पंचायत नियमावली के क्रियान्वयन में सरलता लाने के लिए होगा संशोधन-वनमंत्री

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देहरादून (संवाददाता) : वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने कहा है कि वर्तमान वन पंचायत नियमावली में संशोधन कर सरलता लायी जायेगी। वन मंत्री ने कहा कि वर्तमान वन पंचायत नियमावली अत्यधिक जटिल है जिससे इसके क्रियान्वयन में व्यावहारिक दिक्कतें सामने आ रही हैं।

उन्होंने नियमावली को अधिक यथार्थ बनाने व क्रियान्वयन में सरलता लाने के लिए संशोधन करने की बात कही। राजपुर रोड स्थित मंथन सभागार में हरक की अध्यक्षता एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत के आतिथ्य में वन पंचायतों की गोष्ठी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें वन पंचायतों के सशक्तीकरण, वन प्रबन्धन के साथ-2 वहां के निवासियों की आजीविका सुनिश्चित करने के विषय पर चर्चा की गयी।

कार्यशाला में वन पंचायतों के सदस्यों द्वारा वन पंचायत नियमावली के क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं तथा वन प्रबन्धन के कुशल संचालन के सम्बन्ध में अनेक विचारणीय सुझाव भी दिये गये। हरक सिंह रावत ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि वन पंचायतें मात्र संख्या बल के आधार पर न दिखें बल्कि अगर वन पंचायतें संख्या में कम भी हो तो भी चलेगा लेकिन सक्रिय होनी चाहिए। बड़ी वन पंचायतों को प्रत्येक वर्ष कम से कम दो लाख रुपये के कार्य अनिवार्य रूप से देने, आरक्षित वनों को छोड़कर शेष सभी प्रकार के वनों का प्रबन्धन वन पंचायतों को सौंपने, वनों में अग्नि सुरक्षा हेतु स्थानीय वन पंचायतों को भागीदार बनाने, मनरेगा के बजट का 20 प्रतिशत हिस्सा प्रत्येक वर्ष वन पंचायतों को अनिवार्य रूप से आंवटित करने की बात कही।

उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के प्रबन्धन में महिलाओं की भागीदारी को अधिक करने, वन पंचायतों का प्रशासनिक नियंतण्रराजस्व विभाग से हटाकर वन विभाग के अधीन करने तथा जंगल में विभिन्न प्रकार की वनस्पति और वन्यजीवों की संख्या को संतुलित करने वाली नीतियों को नियमावली में सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने राज्य में महिला नर्सरी के लिए दो लाख रुपये की धनराशि तथा बड़ी वन पंचायतों को प्रत्येक कम से कम दो लाख रुपये के कार्य अनिवार्य रूप से सौंपने या देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों का महासम्मेलन कोटद्वार तथा पिथौरागढ़ में होगा।

संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि वन पंचायतें भारत ही नही विश्व में भी एक अनूठा प्रयोग है तथा इसकी स्थापना का मुख्य उददेश्य यह था कि ्स्थानीय समुदाय वनों का कुशल प्रबन्धन कर सकेगा साथ ही वन और वन उत्पादों के माध्यम से अपनी जीविका को भी चलाता रहेगा। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कैम्पा, जायका, केन्द्र तथा राज्य सैक्टर जैसी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से प्राप्त होने वाले फण्ड का सदुपयोग किया जाए और वित्त का इस प्रकार आवंटन हो कि वन पंचायतों को समान रूप से वित्त की आपूर्ति होती रहे। कार्यशाला में वन पंचायत सदस्यों ने प्रबन्धन में आ रही बाधाओं तथा उसके समाधान के बारे में सुझाव दिये।

इस मौके पर प्रमुख वन संरक्षक राजेन्द्र कुमार महाजन, प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत रेखा पई, अपर प्रमुख वन संरक्षक कैम्पा समित सिन्हा, अपर वन संरक्षक जायका अनूप मलिक, मुख्य वन संरक्षक बीके गांगटे, विभिन्न जनपदों के वनाधिकारी वन पंचायत सरपंच उपस्थित थे। 

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