देहरादून (संवाददाता) : प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सोमवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों के प्रशिक्षण सत्र को संबोधित किया। यह अधिकारी अकादमी में फेजतीन मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु आये हैं। मुख्यमंत्री ने आदि शंकराचार्य और सरदार पटेल को किया याद। आई.ए.एस. प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि 22 राज्यों के 85 अधिकारियों की उपस्थिति राष्ट्र की विशालता और विविधता में एकता की परिचायक है।
उन्होने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में चार धाम स्थापित कर सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया था। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता प्राप्त होने के उपरान्त देश की विभिन्न रियासतों को भारत संघ में विलय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
अब सिर्फ करना नहीं है, वरन क्या करना है, ये भी निर्धारित करना है-मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम 810 वर्ष का अनुभव प्राप्त कर चुके अधिकारियों के लिये आयोजित किया जा रहा है। अभी तक प्रारंभिक फेज में अधिकारी उप जिलाधिकारी, सी.डी.ओ, जिलाधिकारी के रूप में नीतियों, नियमों, निर्देशों का सिर्फ पालन कर रहे थे परन्तु अब बड़ी जिम्मेदारियों के साथ उन्हें नीतियोंनियमों के निर्धारण में भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘सिर्फ करना नही है, वरन क्या करना है, अब यह भी आपको निर्धारित करना है‘‘। आधुनिक संचार क्रांति को ध्यान में रखें, अपडेट रहें मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आधुनिक कम्यूनिकेशन टेक्नोलाॅजी से लगातार अपडेट रहने को कहा।
उन्होने कहा कि नई पीढ़ी अधिक होशियार है, उन्हें रिस्पांस तेज चाहिये, इसलिये आई.ए.एस. अफसर भी आधुनिक तकनीकि के साथ लगतार रिस्पांसिव व अपडेटेड हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर जनता अपनी समस्यायें एवं शिकायतें भेजती है और तत्काल प्रतिउत्तर एवं समाधान की अपेक्षा करती है। अधिकारियों को भी नयी तकनीकि को अपनाना होगा।
अधिकारी जनसंवाद लगातार रखें
मुख्यमंत्री ने जन संवाद का महत्व बताते हुए कहा कि कई बार जनता के बीच में से बहुत अच्छे सुझाव एवं समाधान प्राप्त होते हैं, अतः जनता में संवाद लगातार बनाये रखें। मुख्यमंत्री ने स्वंय के कृषि मंत्री के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होने अपने अधिकारियों के साथ 07 दिन क्षेत्र भ्रमण किया और मौके पर ही तीन शासनादेश जारी किये थे। जनता से वार्तालाप के दौरान व्यवहारिक समाधान प्राप्त होता है।
उन्होने कहा कि वर्तमान सरकार जो नर्सरी एक्ट लाने जा रही है वह भी जनता से प्राप्त सीधे फीडबैक के आधार पर ही तैयार किया गया है। उन्होने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग में कोई न कोई गुण अवश्य होता है, उसको पहचान कर, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है। मंत्री सचिव के रिश्तों पर भी बोले मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में उल्लिखित पक्तियों ‘‘सचिव, वैद, गुरू तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आसय राज, धर्म तन, तीनि कर होई बेगिहि नास‘‘ का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को राजनैतिक नेतृत्व के समक्ष अपनी राय बेबाकी से स्पष्ट वादिता के साथ रखनी चाहिए। उन्होने कहा नियमकानूनों की जानकारी रखना तथा उनके बारे में अवगत कराना सचिव का कार्य है।
अकादमी निदेशक ने मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का स्वागत करते हुए अकादमी की निदेशक वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी उपमा चैधरी ने कहा कि उनके कार्यकाल में पहली बार किसी मुख्य अतिथि ने पूरा अकादमी गीत सबके साथ पढ़ा। उन्होने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न जन कल्याणकारी कार्यो का उल्लेख भी किया। श्रीमती चैधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड चैथा राज्य है जो ग्रामीण क्षेत्रों हेतु ओ0डी0एफ0 घोषित हुआ है। उन्होने राज्य सरकार की 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेण्टर बनाने की योजना, टेली रेडियोलाॅजी, टेली मेडिसिन, बैलून टेक्नोलाॅजी का भी उल्लेख किया।
उन्होने बाहर से आये आई.ए.एस. अधिकारियों को रिस्पना और कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान के बारे में भी बताया। उत्तराखण्ड के 5 अधिकारी शामिल हैं प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक माह के फेज3 प्रशिक्षण कार्यक्रम में 22 राज्यों के 85 अधिकारी हैं। अधिकांश अधिकारी वर्ष 2006 से 2008 बैच के हैं। उत्तराखण्ड काडर के श्री बृजेश संत, श्री राघव लंगर, श्री राजेश कुमार, श्री एस.एन.पाण्डे और श्री विनोद रतूड़ी इस मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की सचिव श्रीमती राधिका झा, अकादमी की संयुक्त निदेशक आरती आहूजा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित