ऋषिकेश। ‘माता-पिता दोनों कोरोना संक्रमित हुए। इलाज के बाद पिता काफी कमजोर हो गए, मां ब्लैक फंगस से संक्रमित हो गईं। इलाज के लिए उन्हें एम्स ऋषिकेश लाए। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें मंहगे वाले 103 इंजेक्शन लगने हैं। 18 लग चुके, लेकिन अब इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं।
यह आपबीती है मुरादाबाद की तीन बहनों की जो अपनी मां के जान बचाने की भरसक कोशिशों में लगीं हैं। उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद शहर की आशियाना कॉलोनी में रहने वाली सबसे बड़ी बेटी निधि और उसकी दो छोटी बहनों पर दो महीनों से जो बीत रही है, उसे जानने वाले सहम जाते हैं।
कोरोना संक्रमित होने पर उनके माता-पिता को मुरादाबाद में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोरोना से ठीक होने के बाद उनकी माता रेखा गुप्ता के नाक और मुंह में सूजन आने लगी। ब्लैक फंगस की पुष्टि पर वे उन्हें ऋषिकेश एम्स ले आईं। 19 मई से एम्स में ही उनका इलाज चल रहा है।
शुरुआत में लगे सस्ते इंजेक्शन
शुरुआत में डॉक्टरों ने कुछ दिन सस्ता वाला इंजेक्शन लगाकर बंद कर दिया। इस बीच उनकी माता का नाक, तालू और जबड़े का भी ऑपरेशन हो चुका है। शुक्रवार को डॉक्टरों ने फिर सस्ते वाले इंजेक्शन यह कहकर पर बंद कर दिए कि इससे साइड इफेक्ट ज्यादा हो रहे हैं। इसलिए महंगा वाला लाइसोसोमल एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन ही लगाना पड़ेगा।
इसकी एक दिन में छह खुराक लगनी है, लेकिन वह कहीं उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ इंजेक्शन दिल्ली व देहरादून से प्रति खुराक 25 हजार रुपए में भी मंगाए, लेकिन अब वह बाजार में उपलब्ध नहीं हो रहा है। अब तक उन्हें 18 इंजेक्शन लग चुके हैं और कुल 85 लगने हैं।
हफ्तेभर से आ रही सीएमओ दफ्तर
लाइपोसोमल एंफोटेरोसिन-बी इंजेक्शन के लिए निधि लगभग एक हफ्ते से ज्यादा वह लगातार एम्स से देहरादून सीएमओ दफ्तर के चक्कर काट रही है। लेकिन, अब तक उन्हें इंजेक्शन के बजाय सिर्फ आश्वासन ही मिला है। स्टाफ ने उनका मोबाइल नंबर नोट किया और बताया है कि जब इंजेक्शन उपलब्ध होंगे तो बता दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इंजेक्शन की उपलब्धता का पता चलते ही जब तक वे सीएमओ दफ्तर पहुंचती हैं तो पता लगता है कि इंजेक्शन खत्म हो चुके हैं। सीएमओ दफ्तर से यह भी बताया गया कि उन्होंने एम्स ऋषिकेश को भी कुछ इंजेक्शन भेजे हुए हैं।
पिता को अकेले छोड़ना मजबूरी
निधि ने बताया कि पिताजी संक्रमण के बाद कमजोरी महसूस कर रहे हैं। फिर भी उनको मुरादाबाद में छोड़ना उनकी मजबूरी है। क्योंकि वह कुछ दिन अस्पताल में आए भी थे, लेकिन हमने ही उन्हें संक्रमण के डर से यहां रहने को मना कर दिया। निधि ने बताया कि अब तक उनके लगभग सात लाख से अधिक रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन उन्हें इलाज की चिंता है। हालांकि एम्स में इलाज, जांच और दवाओं पर ज्यादा खर्च नहीं है। फिर भी इंजेक्शन न मिलने से उनकी मुसीबत बढ़ी हुई है।